रखरखाव के अभाव में सुविधाविहीन हुआ खरसिया रेलवे स्टेशन

खरसिया ,10 जून  प्लेटफार्म नंबर 1 और 2 पर दानदाताओं द्वारा 2 वाटर कूलर तो लगाए गए हैं, जो बिना देखरेख के कई महीनों से बंद पड़े हैं। न तो रेलवे विभाग इस ओर ध्यान दे रहा है और नहीं दानदाताओं द्वारा इसका संज्ञान लिया जा रहा है। प्लेटफार्म नंबर 2 पर पूर्व में रेलवे द्वारा वाटर कूलर लगाया गया था, परंतु वह भी नदारद है। सुविधा विहीन खरसिया में कुली की व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में यात्री हलाकान होते हैं। वहीं सबसे बड़ी समस्या बुजुर्गों के ऊपर है, पहाड़ नुमा सिडी बुजुर्गों का उपहास उड़ा रही है। इन सीढ़ीयों में अगर आप बिना समान चलेंगे तो भी 10 मिनट से ज्यादा लगते हैं। स्टेशन के बाहर अंधेरा रहता है। रात को यात्रियों को सफर करते समय अंधेरा का सामना करना पड़ता है। वहीं आसपास लगे ठेलों में लोग चाय जरूर बेच रहे हैं, परंतु चाय के आड़ में गांजा शराब खुलेआम बिक्री की जाती है।

रायगढ़ जिले की सांसद भी सिर्फ रायगढ़ स्टेशन की ही सुध ले रही हैं, खरसिया में यात्रियों की क्या तकलीफ है, गाड़ियां कौनसी-कौनसी रुक रही हैं, उन्हें लेना देना नहीं है। वहीं रेलवे के द्वारा नियुक्त मेंबर भी शायद बैठक में जाकर चाय नाश्ता और फोटो खिंचवाकर अपनी वाहवाही लूटते हैं। प्रयास कोई दूसरा भी करे, परंतु उस प्रयास का श्रेय जरुर लेते हैं। हां जरूर मुरली अग्रवाल द्वारा खरसिया में सबसे बड़ी उपलब्धि दी थी, जिसमें खरसिया स्टेशन में मेल का स्टॉपेज किया गया था। जिसकी आज भी प्रशंसा की जा रही है। परंतु उसके बाद जितने भी मेंबर बने हैं वह अपनी उपलब्धि जरूर बता रहे हैं, जबकि बुकिंग ऑफिस में रात को गाय घुसी रहती है तथा यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। 

यहां पंखे की व्यवस्था भी नहीं है। लोगों को गर्मी में ही खड़े होकर टिकट कटवाना पड़ता है। प्लेटफार्म का हालत इतनी खस्ता है कि टॉयलेट में कोई भी साफ सफाई नहीं हो रही है। प्लेटफार्म में पर्याप्त मात्रा में पानी भी नहीं है। इस भीषण गर्मी में एक समय ऐसा था जब खरसिया के युवा पीढ़ी द्वारा गर्मी में बाल्टियों में बर्फ डालकर सभी यात्री लोगों को पानी पिलाया करते थे तथा उनके बोतलों में भी लेकर पानी दिया जाता था। उसके बाद अन्य सुविधा खाली बोतलों में ठंडे पानी भरकर यात्रियों को पिलाया जाता था। यात्री पहले से ही याद करते थे कि खरसिया आने वाला है, यहां ठंडा पानी अवश्य मिलेगा। परंतु अब वह परंपरा खत्म हो गई और दानदाताओं द्वारा लगाए गए वाटर कूलर पर आश्रित हो गए। दुर्भाग्य है कि इस गर्मी में खरसिया प्लेटफार्म में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है

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