दंतेवाड़ा ,02 जून । पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की थी एक दिन ऐसा भी आएगा कि गोबर और उससे निर्मित उत्पाद महिलाओं और युवाओं के लिए कमाई का जरिया बनकर उन्हें स्वावलंबी बनाएंगे। गोबर से खाद निर्माण की प्रक्रिया यूं तो ग्रामीण क्षेत्रों में सदैव ही प्रचलित रही है और उसे अब गौठानों में परिष्कृत करके वर्मी कम्पोस्ट के रूप में तैयार किया जा रहा है। परंतु खाद के अलावा भी गोबर से निर्मित अन्य बहुउपयोगी सामग्री भी बनाई जा रही है। इनमें गोबर पेंट बनाये जाना नवाचार की श्रेणी में आएगा। वर्तमान में तो लगभग हर दूसरे गौठानों में महिला समूहों की ओर से अब गोबर से निर्मित पेंट बनाए जा रहे है। जिनका उपयोग शासकीय कार्यालयों, भवनों में किया जा रहा है। साथ ही स्थानीय बाजार में भी अब उपलब्ध कराये जा रहे है।
इस क्रम में ब्लॉक दंतेवाड़ा स्थित ग्राम भैरमबंद के मल्टी एक्टिविटी सेंटर में भी गोबर पेंट यूनिट स्थापित कर दिया गया है। यहां युवा मितान व महिलाओं के द्वारा मॉ दंतेश्वरी प्राकृतिक गोबर पेंट उत्पादक समूह बनाकर गोबर पेंट का निर्माण किया जा रहा है। समूह की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक समूह द्वार निर्मित पेंट का निर्माण प्राकृतिक रूप से किया जाता है। जिसकी सभी शासकीय विभागों स्थानीय दुकानों और अन्य जगहों में बिक्री की जा रही है। इस प्रकार उक्त समूह की ओर से अब तक 65 सौ लीटर पेंट उत्पादन कर 14 लाख 25 हजार रुपए की बिक्री की जा चुकी है। जिसमें समूह की ओर से 2 लाख 92 हजार 500 रुपए का शुद्ध लाभ कमाया गया है।
समूह के सदस्यों ने यह भी बताया कि गोबर की पेंट का डिमांड हर जगह से आ रही है और लगभग 36 हजार लीटर की डिमांड पूरे जिले से है। इसी समूह से जुड़े युवा मितान श्यामलाल यादव बताते है कि समूह में जुडऩे से पहले वे खेती किसानी में ही गुजर बसर ही करते थे और आय भी साधारण ही रहती थी। कक्षा 12वीं तक पढ़े श्यामलाल ने बाद में मल्टी एक्टिविटी सेंटर से जुड़कर गोबर पेंट निर्माण की प्रक्रिया सीखनी चाही फिर समूह के माध्यम से उसे राजस्थान के जयपुर गोबर पेंट निर्माण प्रशिक्षण हेतु भेजा गया। वापस आकर श्यामलाल ने समूह के साथियों की मदद से गोबर पेंट निर्माण कार्य की शुरूआत की। श्यामलाल ने आगे बताया कि जिला प्रशासन के द्वारा भी उन्हें हर संभव मदद उपलब्ध करायी गई।
और विभिन्न सरकारी विभागों से उन्हें पेंट के लिए मांग पत्र प्राप्त हो रहें है, और गोबर पेंट की एन्टीबैक्टीरिया, एन्टीफंगल, इकोफ्रेन्डली, नेचुरल थर्मल इन्सुलेटर, कास्ट इफेक्टिव व नान ऑक्सिक विशेषताओं को देखते हुए आने वाले दिनों में इसकी भारी मांग की संभावनाएं है और इस मांग की पूर्ति के लिए उनका समूह पूरी तरह से तैयार है राज्य शासन की ओर से स्थापित किये गए रीपा व गौठान के माध्यम से आज ग्रामीण क्षेत्रों में आ रहे सकारात्मक बदलाव से कोई भी इंकार नहीं कर सकता शासन की इस सार्थक पहल ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देकर निश्चित ही एक मुकाम तक पहुंचाया है।
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