मोहला ,29 मई । महिलाओं को अगर खुद को साबित करने के लिए सही अवसर, साधन एवं दिशा दी जाये तो कठिन से कठिन कार्य भी साकार किया जा सकता है। इसी विचार को सार्थक करते हुए राज्य शासन सुराजी गांव योजना के माध्यम से गौठानों में महिलाओं को रोजगार देकर अग्रणी भूमिका निभा रही है। आज वनांचल ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को स्वयं का रोजगार मिलने और आर्थिक उन्नति होने से समाज में अपनी अलग पहचान बना रही है। गौठानों में संचालित विभिन्न आयमूलक गतिविधियों का संचालन बड़ी आसानी से सफलतापूर्वक कर रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना से जिले के आदिवासी बाहुल्य वनांचल गौठान मोहला की महिला समूहों को समाज में अपनी अलग पहचान के लिए नया विकल्प एवं सुनहरा अवसर मिला। आदिवासी बाहुल्य मोहला गौठान की जय सांई स्वसहायता समूह की दीदीयों ने 1470 क्विंटल वर्मी का उत्पादन कर अब तक 4 लाख 8 हजार 72 रूपए का लाभांश प्राप्त किया है। जो उनके लिए किसी सपने से कम नहीं है।
आदिवासी बाहुल्य वनांचल मोहला गौठान की समूह की महिलाओं ने बताया कि पहले आयमूलक रोजगार करने का प्रयास कर रहे थे परन्तु राशि, साधन एवं जगह की कमी के कारण नहीं कर पा रहे थे। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के आने से गौठान में शेड निर्माण, पर्याप्त बिजली एवं पानी की व्यवस्था के साथ बहुत सारी मल्टीएक्टीविटी सेंटर के रूप में उपलब्ध हुआ। जिससे महिला समूहों को आयमूलक रोजगार प्राप्त हुआ है। समूह की महिलाएं अपने सपनों को पूरा कर रही हैं। राज्य शासन की गोधन न्याय योजना से मोहला गौठान में जय सांई स्वसहायता समूह की महिलाओं ने 1470 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया। जिसे जय सांई स्वसहायता समूह की महिलाओं ने वर्मी कम्पोस्ट विक्रय कर 4 लाख 8 हजार रुपए का लाभांश प्राप्त किया है।
महिला समूह की सदस्य सुमरित बाई ने बताया कि प्राप्त लाभांश राशि से वे अपने सपनों के घर की छबाई कार्य की है और अन्य महिला सदस्यों ने अपनी-अपनी जरूरतों को पूरा किया है। मोहला गौठान की जय सांई स्वसहायता समूह की महिलाएं इससे प्रेरित होकर रोजगार के साधन को बढ़ाते हुए आटा चक्की, जैविक दवाई, कढ़ाई-बुनाई का कार्य शुरू करने वाली है। जिससे समूह की महिलाओं की आय में और अधिक वृद्धि हो सके।
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