रायपुर,26 मई । कांकेर के पखांजूर में डेढ़ लाख के मोबाइल के लिए जलाशय खाली करने वाले फ़ूड इंस्पेक्टर राजेश विश्वास को निलंबित कर दिया गया है। इस मामले ने सिर्फ जिले के महकमे में हड़कंप मचा दिया बल्कि प्रदेश की राजनीति को भी गरमा दिया है। इस मामले पर पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने एक तरफ जहां सीएम को घेरने की कोशिश की वहीँ दूसरी तरफ सीएम भूपेश बघेल ने भी उसका तीखा जवाब दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इसे लेकर एक ट्वीट किया था जिसमे उन्होंने लिखा था – दाऊ bhupeshbaghel की तानाशाही में अधिकारी प्रदेश को पुश्तैनी जागीर समझ बैठे हैं। आज भीषण गर्मी में लोग टैंकरों के भरोसे हैं, पीने तक के पानी की व्यवस्था नहीं है। वहीं अधिकारी अपने मोबाईल के लिए लगभग 21 लाख लीटर पानी बहा रहे हैं इतने में डेढ़ हजार एकड़ खेत की सिंचाई हो सकती थी।
उनके इस ट्वीट पर सीएम भूपेश बघेल ने जवाब देते हुए कहा – 2 बातें हैं डॉक्टर साहब:
1. पहली ये कि अपने पद का दुरुपयोग करने का हक ‘नवा छत्तीसगढ़’ में किसी को नहीं है, जिस अधिकारी ने यह कृत्य किया है उसे निलंबित किया जा चुका है. वो दौर बीत गया जब लोग सत्ता में बैठकर फर्जी राशन कार्ड बनाते थे और अपने बेटे का ‘पनामा’ में खाता खुलवाते थे।
2. दूसरी बात ये है कि आज हमने मितान योजना में राशन कार्ड को जोड़ा है, अब 14545 पर फोन करके मितान को घर बुलाएँ और घर बैठे ही राशन कार्ड बनवाएँ।
यह बहुत अच्छी शुरुआत है, इसको आप आगे 3 लोगों को बताएँ और उनसे कहें कि वो भी आगे 3 लोगों को बताएँ। जय छत्तीसगढ़।
जानें क्या था पूरा मामला
दरअसल, राजेश विश्वास पखांजूर में फ़ूड इन्स्पेक्टर के पद कर कार्यरत हैं। वे अपने दोस्तों के साथ रविवार को पार्टी करने गए हुए थे, इसी दौरान परलकोट जलाशय में उनका मोबाइल फोन गिर गया। अधिकारी ने आनन-फानन में गोताखोरों को बुलाकर फोन की खोजबीन शुरु कराई लेकिन कई घंटों की मशक्कत के बाद फोन नहीं मिला। जिसके बाद अधिकारी ने सिंचाई विभाग से पंप मंगवाकर जलाशय का सारा पानी निकलवा दिया। इस पानी को निकलवाने के लिए वे चार दिनों तक धूप में छाता लगाकर अपनी आखों के सामने ही पानी से भरे लबालब जलाशय का 21 लाख लीटर पानी सुखा दिया। जिस पानी को अधिकारी ने अपने फोन की खोजबीन के लिए बर्बाद कर दिया उससे डेढ़ हजार एकड़ खेत की सिंचाई हो सकती थी।
निलंबित हुए खाद्य निरीक्षक
मोबाइल ढूंढने के लिए पानी बहाने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए संबंधित खाद्य निरीक्षक को कलेक्टर कांकेर द्वारा निलंबित कर दिया गया है। वहीं इस मामले में पखांजूर में पदस्थ जल संसाधन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी को कलेक्टर द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जिला उत्तर बस्तर कांकेर कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला द्वारा इस घटना की जानकारी मिलने पर पखांजूर में पदस्थ खाद्य निरीक्षक राजेश विश्वास को आज तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
कलेक्टर द्वारा जारी निलंबन आदेश में उल्लेख किया गया है कि खाद्य निरीक्षक पखांजूर राजेश विश्वास द्वारा परलकोट जलाशय, पखांजूर में उनका मोबाईल पानी में गिर जाने के कारण, मोबाईल ढूंढने के लिए 21 मई 2023 से लगातार 04 दिनों तक परलकोट जलाशय के वेस्ट वियर से स्केल वाय के बीच लगभग 21 लाख लीटर पानी डीजल पंप के द्वारा बहा दिया गया, यह जानकारी मिलने पर इस घटना के संबंध में 26 मई 2023 को अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पखांजूर से प्रतिवेदन लिया गया, प्रतिवेदन अनुसार राजेश विश्वास खाद्य निरीक्षक, पखांजूर द्वारा परलकोट जलाशय पखांजूर में अपना मोबाईल ढूंढने के लिए बिना अनुमति के जलाशय के वेस्ट वियर का 41104 क्यूबिक मीटर पानी खाली कराया गया है।
प्रतिवेदन प्राप्त होने पर कलेक्टर ने राजेश विश्वास खाद्य निरीक्षक, पखांजूर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन आदेश में यह उल्लेख किया गया है कि अपना मोबाईल ढूंढने के लिए अपने पद का दुरूपयोग करते हुए सक्षम अधिकारी की अनुमति बिना परलकोट जलाशय से भीषण गर्मी में लाखों लीटर पानी व्यर्थ बहा देना, उनके अशोभनीय आचरण का द्योतक है, जो अस्वीकार्य है। उक्त कृत्य छत्तीसगढ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के प्रावधानों के विपरीत होने के कारण उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबन अवधि में खाद्य निरीक्षक राजेश विश्वास का मुख्यालय जिला कार्यालय खाद्य शाखा कांकेर रहेगा तथा निलंबन अवधि में नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा।
कलेक्टर ने पखांजूर में पदस्थ जल संसाधन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी आर.सी. धीवर को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 24 घंटे के भीतर जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया है। नोटिस में उल्लेख किया गया है कि खाद्य निरीक्षक पखांजूर राजेश विश्वास ने मीडिया में दिए गए अपने वक्तव्य में कहा है कि उन्हें मोबाइल ढूंढने के लिए परलकोट जलाशय से लाखों लीटर पानी खाली करने के लिए आपके द्वारा मौखिक अनुमति दी गई है।
उच्चाधिकारियों से अनुमति प्राप्त किए बिना परलकोट जलाशय से लाखों लीटर पानी व्यर्थ बहा देने की मौखिक अनुमति देना कदाचरण की श्रेणी में आता है जो छत्तीसगढ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1965 के प्रावधानों के विपरीत है। उक्त कृत्य के लिए क्यों न आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। समयावधि में एवं समाधानकारक जवाब प्रस्तुत नहीं किए जाने पर अनुविभागीय अधिकारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही संस्थित की जाएगी।
[metaslider id="347522"]