राष्ट्रबोध का आभाष कराएगा ‘सेंगोल’

-अशोक बजाज

सेंगोल एक राजदंड है जो भारत का ऐतिहासिक धरोहर है। यह आजादी के जुड़ा एक प्रतीक है। 75 साल पूर्व 14 अगस्त 1947 को पं. जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को स्वीकार किया था। यह अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था। पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को प्राप्त करेंगे जिसे नए संसद भवन में आसंदी के पास स्थापित किया जायेगा।



आजादी के अमृतकाल में हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास है। इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित हो रही है। सेंगोल तमिल भाषा के शब्द ‘सेम्मई’ से निकला हुआ शब्द है। इसका अर्थ होता है धर्म, सच्चाई और निष्ठा। किसी ज़माने में सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक हुआ करता था। इसे इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था। अब यह नए संसद भवन में शोभायमान होगा।

संसद देश की सबसे बड़ी पंचायत है। यहां इस विशाल भारत की जनता की समृद्धि व खुशहाली तथा राष्ट्रहित के मुद्दों पर नीतिगत फैसले लिए जाते है। देश भर के चुने हुए प्रतिनिधि इस राजदंड सेंगोल के सम्मुख होकर जब कोई चर्चा करेंगे तब यह राजदंड उन्हें राष्ट्रबोध का आभाष कराएगा। देश भर के चुने हुए प्रतिनिधि इस राजदंड सेंगोल के सम्मुख होकर जब कोई चर्चा करेंगे तब यह राजदंड उन्हें राष्ट्रबोध का आभाष कराएगा।