रायगढ़ ,19 मई । रायगढ़ के कालोनाइजरों की जमीन की भूख निरंतर बढ़ते ही जा रही है। भूपेश सरकार के कार्यकाल में जिन किसानों के लिए नित्य कार्य किया जाता है, तथाकथित कालोनाइजर ने एक किसान के खेत के चारों तरफ कब्जा जमा लिया अब किसान परेशान है, क्योंकि प्रशासनिक तंत्र तुरंत मजबुरों की गुहार नही सुनता। जिला प्रशासन का राजस्व विभाग तो माशाअल्लाह है। यहां पर तो आरोपी को आवेदक बनने का पूरा मौका दिया जाता है।
रायगढ़ में एक अन्नदाता अपने खेत के लिए रास्ते की गुहार लगा रहा है। किसान के खेत जाने के रास्ते पर कॉलोनी तैयार हो रही है, जिससे रास्ता बंद हो जाने के कारण उसकी खेती नहीं हो पाएगी, जिसको लेकर किसान चिंतित है। रायगढ़ जिला तेजी से बढ़ रहा है। पॉश कॉलोनियां, मॉल, गाड़ियों के बड़े-बड़े शो रूम रायगढ़ की शान बढ़ा रहे हैं। एक नई कॉलोनी छतामुडा में भी बनाई जा रही है, जिसके बाउंड्रीवाल का काम शुरू हो चुका है।
लेकिन इस कॉलोनी के बाउंड्री से लगकर एक किसान जितेंद यादव का खेत है। कॉलोनी की बाउंड्री वाल की वजह से किसान के खेत जाने का रास्ता बंद हो गया है। यदि किसान की जमीन पर आने जाने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाएगा तो वह खेती नही नहीं कर पाएगा। अपने खेत तक जाने के लिए किसान अब रास्ता मांगने न्यायालय की शरण मे गया है।
यह आमआदमी का अधिकार है, लेकिन यहां एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि क्या कॉलोनाइजर रेरा के प्रावधानों को मानता है? क्या कॉलोनी बनाने के लिए कृषि भूमि पर दी गई अनुमति में इस बात का उल्लेख नहीं होता कि किसान के खेत के रास्ते प्रभावित न हों। ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब यदि किसान के पास होते तो तहसील स्तर पर ही उसकी समस्या खत्म हो जाती और न्यायालय के सालों साल चलने वाले केस से उसे मुक्ति मिल जाती। ऐसा लगता है कि जानबूझकर किसान की समस्या का निराकरण तहसील कार्यालय में नहीं किया जा रहा, ताकि कॉलोनाइजर को निर्माण के लिए भरपूर समय दिया जा सके।
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