KORBA में ‘रीपा’ अंतर्गत अभी तक एक भी औद्योगिक गतिविधियां नहीं हो सकीं शुरू, डेढ़ माह पहले CM ने किया था उद्घाटन, जानिये खामियां…

कोरबा,15 मई । ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने एवं ग्रामीणों को गांव में ही लघु उद्योग स्थापित करने की सुविधा प्रदान करने के लिए आदिवासी बाहुल्य आकांक्षी जिला कोरबा में स्थापित किए जा रहे रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क (रीपा) के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पा रही। कोरबा विकासखण्ड के ग्राम पंचायत पहंदा के सराईडीह में उद्घाटन के डेढ़ माह बाद भी एक भी औद्योगिक इकाइयों की गतिविधियां शुरू नहीं हो सकीं। एक करोड़ 18 लाख रुपए की लागत से तैयार किए जा रहे शेड निर्माण में कई कार्य अधूरे हैं। विद्युतीकरण का कार्य भी पूरा नहीं हो सका। जिम्मेदार विभागों के मॉनिटरिंग में ढिलाई की वजह से शासन की परिकल्पना साकार नहीं हो सकी ।

यहां बताना होगा कि ग्रामीण औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने जिले में 10 रीपा बनाये जा रहे हैं। इसके अंतर्गत विकासखण्ड कोरबा के चिर्रा और सरईडीह (पहंदा), कटघोरा के अरदा और रंजना, पाली के केराझरिया और नोनबिर्रा, पोड़ी-उपरोड़ा के कापूबहरा और सेमरा एवं करतला के जमनीपाली और कोटमेर में रीपा स्थापित किए जा रहे हैं। जिसमें 60 गतिविधियों का संचालन किया जाएगा।


रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क में नमकीन-मिक्चर युनिट, स्टेशनरी, तेल प्रसंस्करण, चिक्की, बेकरी, पापड़ जैसी अन्य आजीविका मूलक गतिविधियों की इकाईयां स्थापित की जाएंगी।जिसमें 356 हितग्राही लाभान्वित होंगे। शासन द्वारा विकासखण्ड कोरबा के ग्राम पंचायत गौठान सराईडीह (पहंदा )में एक करोड़ 18 लाख की लागत से रीपा की तकनीकी प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। जिसके तहत पोहा निर्माण इकाई शेड निर्माण कार्य ,पेपर बैग ,मिठाई शेड निर्माण इकाई ,पास्ता,सेवई शेड निर्माण ,नमकीन ,मिक्सचर ,चिक्की निर्माण इकाई ,गौठान परिसर में सोयाबीन बड़ी शेड निर्माण कार्य ,नूडल्स शेड निर्माण ,हल्दी मिर्च ,मसाला शेड निर्माण का कार्य किया जाना है। 25 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों जिले के सभी 10 रीपा के साथ सराईडीह के रीपा वर्चुअल उद्घाटन हुआ था। लेकिन आज पर्यन्त यहां के रीपा की संरचनाएं पूर्ण नहीं हो पाई। पड़ताल में विभिन्न औद्योगिक इकाइयों के शेड में न दरवाजे लगे न विद्युतीकरण का कार्य पूरा हुआ। यहाँ तक कि पहुंच मार्ग भी व्यवस्थित नहीं है। फैंसिंग भी टूटा हुआ मिला। युवाओं एवं महिला स्व सहायता समूहों को एक भी औद्योगिक गतिविधियों से नहीं जोड़ा जा सका। जिससे करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद रीपा की परिकल्पना साकार नहीं हो सकी।
प्रकरण में जिला पंचायत के एनआरएलएम के डीपीएम एलएच राजीव श्रीवास के मो न.91315 44895 पर संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई । कॉल रिसीव नहीं करने की वजह से उनका पक्ष नहीं आ सका।

मनरेगा ,गौठान के कार्यों में ढेरों शिकायतें ,नए जिला पंचायत सीईओ से आश

कोरबा जिले में मनरेगा कार्यों में पिछले डेढ़ दो सालों से तमाम तरह की गम्भीर शिकायतें मिलती रही है चाहे वो निर्माण कार्यों का मामला हो ,अमृत सरोवर या फिर भुगतान। जिले में कलेक्टर जिला पंचायत सीईओ के समक्ष ऐसी शिकायतें लेकर आती रही है। गौठान की भी शियायतें आती रही है। सराईडीह आदर्श गौठान में भी स्व सहायता समूहों को गत वर्ष के खाद का आज पर्यन्त भुगतान लंबित है। जिला पंचायत सीईओ नूतन कंवर के कार्यकाल में जिला पंचायत में शिकायतों का अंबार लगा रहा । जिसे देखते हुए कोरबा जैसे बड़े जिले में जिला पंचायत सीईओ के पद पर शासन ने तेज तर्रार आईएएस श्री विश्दीप की पदस्थापना की है। नव पदस्थ युवा जिला पंचायत सीईओ श्री विश्वदीप अनुशासनप्रिय , साफ सुथरी एवं तेज तर्रार छवि के लिए जाने जाते हैं। सरगुजा जिले में एसडीएम , जिला पंचायत सीईओ के रूप में सेवाएं देने के बाद कोरबा को भी उनकी कार्यदक्षता का लाभ मिलेगा।

तो क्या महज ठेकेदारों को फ़ायदा पहुँचाना मकसद !क्षेत्रीय विधायक ननकीराम कंवर ने भ्रष्टाचार पर सदन में दागे थे सवाल

जिस तरह करोड़ों रुपए की लागत से रीपा की स्वीकृति दी गई है। इसमें से एक बड़ी राशि शेड निर्माण में व्यय किया जा रहा है। लगभग सभी रीपा में संरचनाएं तो तैयार हो गई हैं लेकिन औद्योगिक गतिविधियां शुरू नहीं हो सकी हैं,जिसे देखते हुए जनमानस के बीच यह चर्चाएं व्याप्त है कि योजना का उद्देश्य फर्मों को लाभ पहुंचाने तक सीमित रह गया है। न जिला न जनपद पंचायत के अधिकारी नियमित मॉनिटरिंग कर रहे न ही आरईएस के उपअभियंता। ज्ञात हो कि क्षेत्रीय विधायक ननकीराम कंवर ने भूपेश सरकार के अंतरिम बजट में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा ) के अंतर्गत कोरबा जिले में तैयार किए जा रहे रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क ( रीपा ) के निर्माण में किए जा रहे अनियमिताओं पर सरकार को घेरा था। रामपुर विधायक व प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने बुधवार से शुरू हुए बजट सत्र में तारांकित प्रश्न क्रमांक 3561 के जरिए रीपा के स्वीकृति एवं निर्माण से जुड़ी प्रक्रिया से संबंधित समस्त जानकारी मांग पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की नींद उड़ा दी थी।


श्री कंवर ने कृषि मंत्री से प्रश्न पूछा था कि कोरबा जिले के प्रत्येक विकासखंड अंतर्गत रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क का निर्माण किस मद से एवं कितने -कितने लागत के कार्य स्वीकृत किया गया है ?निर्माण एजेंसी कौन कौन से हैं ?क्या उक्त निर्माण के लिए निविदा जारी किया गया है ? यदि नहीं किया गया है तो निर्माण कार्य किनके द्वारा किस आधार पर कराया जा रहा है ?
निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत को बनाया गया है लेकिन जनपद के द्वारा किसी प्रकार का किसी भी पंचायत को कार्य आदेश भी नहीं दिया गया है। बिना कार्यादेश का कार्य चहेते ठेकेदार से कराया जा रहा है। एक ही ठेकेदार को नियम विरूद्ध तरीके से पूरे कोरबा जिले का कार्य दे दिया गया है। ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाने के लिए एक ही कार्य को टुकडे टुकडे मे स्वीकृति किया गया है और अपने चहेते ठेकेदार के द्वारा कार्य निर्माण करवाया जा रहा है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा मूल्यांकन हेतु नया एसओआर सूची जारी की गई है। जिसके आधार पर इंजीनियर के द्वारा मूल्यांकन किया जाता है लेकिन इस कार्य में कई ऐसे सामग्री लगाए जा रहे हैं जिसका उस लिस्ट में नाम तक नहीं है तो फिर उसका मूल्यांकन इंजीनियर किस आधार पर करेगा। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार महात्मा गांधी रुरल इंडस्ट्रियल पार्क के निर्माण में निजी लाभ को ध्यान में रखते हुए जिला पंचायत कोरबा के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी के द्वारा पंचायत को एजेंसी बनाकर चहेते ठेकेदार को कार्य दिया गया है। सरपंचों पर दबाव बनाकर ठेकेदार को भुगतान कराया जा रहा है और तो और इस कार्य में भंडार क्रय नियम का पालन भी नहीं किया गया है ।

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