KORBA : नि:शुल्क सात दिवसीय योग ध्यान शिविर का समापन

कोरबा। सात दिवसीय योग ध्यान शिविर का समापन आज को सीनियर क्लब, सी.एस.ई.बी. कोरबा पूर्व में किया गया। इस शिविर का संचालन दिनांक 08.मई से 14.मई तक किया गया। इस योग ध्यान शिविर का समापन प्रातः 07:30 बजे किया गया। इस समापन के शुभ अवसर पर मुख्य अथिति के रूप में विक्रम प्रताप चंद्र , अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायलय कोरबा के न्याधीश उपस्थित हुए, विशिष्ट अतिथि बी.डी. बघेल (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर) सी.एस.पी.डी.सी.एल कोरबा एवं श्रीमती सोनिया बघेल (समाज सेवी) तथा गुरुकुल योग संस्थान कोरबा के योगाचार्य डॉ. डी.के. आनंद एवं सेकडो की संख्या में योगाभ्यार्थी उपस्थित रहे।

अतः सभी अतिथियों का स्वागत पुष्प-गुच्छो से किया गया। मुख्य अतिथि श्री विक्रम प्रताप चंद्र अपने उद्बोधन में कहा की योग एक वैज्ञानिक पद्धति है इस पद्धति को हजारो साल पूर्व हमारे ऋषि मुनियो ने मानव समाज के उत्थान एवं मानव समाज को आगे बढ़ाने के लिए महर्षि पतंजलि के द्वारा अष्टांग योग दिया गया। योग का अर्थ है जोड़ना अर्थात व्यक्ति अपने मन को शरीर व आत्मा से जोड़ने का कार्य करता है साथ ही योग मनुष्य को एक-दूसरे के साथ आपस में अच्छा व्यवहार बनता है साथ ही योग के मध्यम से मनुष्य पशु-पक्षी, जीव-जन्तु एवं प्राकृति के साथ अच्छा समन्वय बना कर समाज को आगे बढ़ाने का कार्य करता है। विशिष्ट अतिथि श्रीमती सोनिया बघेल ने कहा की योग हमारी सनातन धरोहर है योग ध्यान से मनुष्य अपने आप को स्वस्थ एवं आनंदित तथा शांतिमय जीवन जीने का एक मात्र रास्ता है। इसे प्रत्येक दिन करने से शरीर में कोई भी बीमारी नहीं होती, जो करे योग, वे रहे सदा निरोग।

अंत में मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि को शॉल एवं श्रीफल भेट किए, तदोपरांत मुख्य अतिथि ने डॉ. डी.के. आनंद को शॉल एवं श्रीफल से सम्मानित किए। डॉ. डी.के. आनंद ने इस सात दिवसीय योग ध्यान शिविर में योग के विभिन्न आयामों को सिखाए जिसमे विशेषकर महिलाओं के लिए कौशकी नृत्य, पुरुष के लिए भगवान शिव के द्वारा दिए गए तांडव नृत्य को सिखाया, तांडव नृत्य करने से पौरुषता एवं आत्मविश्वास जगती है, तांडव करने से पीनियां ग्लैंड से मेलाटोनी हार्मोन का स्रव होता है जिससे गहरी नींद आती है याददाश शक्ति बढ़ जाती है। कौशीकी नृत्य महिलाऐं एवं पुरुष दोनों कर सकते है जिसको करने से 22 बीमारियां दूर होती है।

योग के कुछ विशेष नियम एवं निर्देश भी बताए गए ।

भोजन के 4 घण्टे बाद, दूध पीने के 2 घण्टे बाद या बिल्कुल खाली पेट ही आसन करें।
शौच स्नानादि से निवृत्त होकर आसन किये जायें तो अच्छा है।
श्वास मुँह से न लेकर नाक से ही लेना चाहिये।
सूक्ष्म व्यायाम :-
(i) पैरो को आगे पीछे करना तथा अंगूठा को रोकर उगलियों को आगे पीछे पैरो को clock wise & anti clock wise घुमाना ।
(ii) घुटनो को ऊपर नीचे करना ।
(iii) एड़ी को पंजे पर चढ़ाकर घुटनो को ऊपर नीचे करना।
(Iv) हाथो को कंधे पर रखकर clock wise & anti clock wise घुमाना तथा ऊपर नीचे करना ।
(v) हाथो और पंजो के बल उठकर कमर हिलाना।
(vi)
आँखो को भी clock wise & anti clock wise घुमाना।
(vii) सिर को दाहिने तथा बाये ओर घुमाना।
गरम कम्बल, टाट या ऐसा ही कुछ बिछाकर आसन करें।
खुली भूमि पर बिना कुछ बिछाये आसन कभी न करें, जिससे शरीर में निर्मित होनेवाला विद्युत प्रवाह नष्ट न हो जाये।
आसन करते समय शरीर के साथ जबरदस्ती न करें। आसन कसरत नहीं है। अतः धैर्यपूर्वक आसन करें।
आसन करने के बाद ठंडा में या तेज हवा में न निकलें। स्नान 10 मिनट के बाद करें। आसन करते समय शरीर पर वस्त्र कम
से कम और ढीले होने चाहिये।
आसन करने के अंत में शवासन कर शरीर को शिथिल करे।
आसन के बाद मूत्रत्याग अवश्य करें, जिससे एकत्रित दूषित तत्व बाहर निकल जाये। आसन करते समय बात नहीं करे।
आसन के बाद थोड़ा ताजा जल पीना लाभदायक है। ऑक्सिजन और हाइड्रोजन में विभाजित होकर सन्धि स्थानों का मल
निकालने में जल बहुत आवश्यक होता है।
स्त्रियों को गर्भावस्था में और मासिक धर्म की अवधि में कोई भी आसन न करें। प्राणायाम कर सकते हैं।


स्वास्थ्य के आकांक्षी हर व्यक्ति को पाँच-छ तुलसी के पत्ते, 6 बेल पत्र प्रातः चबाकर पानी के साथ खा जाए। इससे एसीडीटी
एवं अन्य रोगों में लाभ मिलेगा।


पीठ के बल लेटकर किए जाने आसनों के नाम:-
(i) पवन मुक्तासन (ii) कन्धारासन (ii) पदंगुष्ठासन (iv) मर्कटासन step 1&2 (v) पूर्ण मर्कटासन (vi) उत्कटासन (Vii) झूलासन
(Viii) साइकिलिंग (ix) सर्वांगासन (x) चक्रासन (xi) पश्चिमोत्कटासन (xii) शवासन (Xiii) हलासन / लतासन

पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों के नाम
(i) भुजंगासन (ii) सलभासन (ii) धनुरासन (iv) नौकासन (v) मर्जरासन (vi) अर्द्धशीर्षासन (vii) मयूरासन
खड़े होकर किए जाने वाले आसनों के नाम
(i) ताड़ासन (ii) वृक्षासन (iii) सूर्य नमस्कार (iv) पद्धाहस्तासन (v) उड्डयन आसन

बैठकर किए जाने वाले आसनों के नाम
(i) गौमुखासन (ii) चक्कीआसन (ii) पद्मासन (iv) सिद्धासन (v) सिंघासन (vi) व्रजासन (vii) वीरासन

प्राणायाम
(i) भस्त्रिका प्राणायाम (ii) अनुलोम-विलोम प्राणायाम (ii) कपालभाती (क्रिया ) (iv) वाहय प्राणायाम (v) शीतली प्राणायाम
(vi) शीतकारी प्राणायाम (vii) भ्रामरी प्राणायाम


ध्यान
ध्यान के लिए एक ऐसा नीरव एवं शांत स्थान ढूँढे जहाँ आप अलग से बैठकर निर्बाधित रूप से ध्यान कर सकें। अपने लिए
एक ऐसा पवित्र स्थान बनाएं जो मात्र आपके ध्यान के अभ्यास के लिए ही हो ।
प्रभावपूर्ण ध्यान करने के लिए आसन के विषय में निर्देश ध्यान के लिए सर्वप्रथम आवश्यक है – उचित आसन । मेरुदंड
सीधा होना चाहिए।प्रतेक दिन 30 मिनट ध्यान करें
नेती क्रिया
कुञ्जल क्रिया
निर्जला उपवास 12 घंटे / 24 घंटे
सात्विक आहार का सेवन
संयमित जीवनशैली
5-6 लीटर शुद्ध जल का सेवन प्रत्येक दिन करे
महर्षि पतंजलि ने योग को योगः चित्तवृत्तिनिरोधः के रूप में परिभाषित किया है। शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के
लिए अष्टांग योग (आठ अंगों वाले योग) का एक मार्ग विस्तार से बताया है ।
योग के ये आठ अंग हैं:
१) यम, २) नियम, ३) आसन, ४) प्राणायाम, ५) प्रत्याहार, ६) धारणा ७) ध्यान ८) समाधि