संबंध, विश्वास, समर्पण भागवत की तीन धाराएँ, धारण करने में ही आत्मकल्याण निहित – आचार्य नूतन पांडेय

माता कर्मा मंदिर दीपका में महतो परिवार के संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का सहस्त्रधारा के साथ हुआ समापन

कोरबा, 09 मई । आत्मकल्याण के लिए मानव को भागवत की कथा श्रवण करनी चाहिए ।संबंध ,विश्वास एवं समर्पण , ये भागवत की तीन धर्म ,तीन धाराएं हैं। भागवत धर्म का आरंभ होता है भगवान के प्रति जो भी कुछ कर रहे हैं उसके प्रति विश्वास । भागवत धर्म का मध्य होता है भगवान के प्रति हमारा संबंध ।इसी तरह भागवत धर्म का समापन होता है समर्पण । ईश्वर के प्रति सच्ची निष्ठा विनम्रता रख समर्पित भाव से भागवत कथा का समापन होता है।

उक्त बातें ग्राम तिलकेजा से पधारे प्रख्यात कथावक्ता पंडित नूतन कुमार पांडेय ने श्री माता कर्मा मंदिर प्रांगण बुधवारी बाजार दीपका में ग्राम सलिहाभांठा निवासी श्री भागीरथी महतो श्रीमती शांति देवी महतो द्वारा कुल एवं आत्मकल्याण निमित्त आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के सातवें दिवस रविवार को कथा समापन के दौरान कही ।

आचार्य श्री पांडेय ने कहा कि आज के दौर में इंसान पढ़े तो हैं लेकिन कढ़े नहीं है जबकि पहले इंसान भले कम पढ़े होते हैं लेकिन कढ़े होते थे। उनमें जीवन की हर परिस्थितियों से तालमेल बिठाने का बेहतर अनुभव होता था। इसलिए जिंदगी में सिर्फ पढें नहीं कढें भी । आचार्य श्री पांडेय ने कहा कि मानव जीवन अत्यंत दुर्लभ होता है ,इसे हमें यूँ ही धर्म कर्म से विमुख होकर नहीं गंवाना चाहिए। 84 लाख योनि में भटकने के बाद मनुष्य योनि में जन्म होता है । कुछ ही मानव जिनका पुण्य और भाग्य अत्यंत प्रबल होता है वही सीधे मानव योनि से मानव योनि में जन्म लेते हैं। आठवें दिवस सोमवार को वेदी पूजन ,तुलसी वर्षा, हवन ,कपिला तर्पण सहस्त्रधारा के साथ श्री मद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का समापन हुआ । जिसमें प्रमुख यजमान भागीरथी शांति देवी महतो एवं पुत्र -पुत्रवधु भुवनेश्वर प्रिया महतो , विनोद महतो पुत्री राधा,रजनी जायसवाल ,नाती -नतिनी शिवम मुस्कान जायसवाल सहित समस्त महतो परिवार ने आचार्य श्री नूतन पांडेय ,सहयोगी ब्राम्हण गण विनायक पांडेय ,भूपेंद्र पांडेय ,गोल्डी पांडेय का आशीर्वाद प्राप्त कर सुखद ,स्वस्थ जीवन की कामना की।