कोरबा, 05 मई । वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने छत्तीसगढ़ के महुआ किसानों के आय में वृद्धि को बढ़ावा दिया। कंपनी की ‘मोर जल, मोर माटी’ परियोजना के अंतर्गत किसानों को गुणवत्ता के आधार पर छंटाई, भंडारण और समग्र प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण कौशल में प्रशिक्षित किया जो उन्हें उत्पाद की गुणवत्ता के अनुरूप आय प्राप्त करने में सक्षम बनाया।
छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में बहुतायत में पाया जाने वाला महुआ का पेड़ आदिवासी समुदाय की आजीविका का प्रमुख स्रोत है। समुदाय के लोग महुआ के फूलों का उपयोग खाने के साथ ही आय के लिए बाजार में इसका विक्रय भी करते हैं। महुआ के फूल हाइग्रोस्कोपिक होते हैं इसीलिए मंडियों में विक्रय से पहले इसे सुखाया जाता है। वरना अधिक वायुमंडलीय नमी को अवशोषित करने से इनके खराब होने का खतरा होता है। प्रशिक्षण से पहले महुआ किसान अपनी उपज को बिना छांटे सीधे मंडियों में ले जाते थे जहां ग्राहकों को गुणवत्ता में कमी के कारण कम आय प्राप्त होता था।
किसान को इन्हीं नुकसानों से बचाने के लिए बालको ने स्वयं सेवी संगठन एक्शन फॉर फूड प्रोडक्शन (एएफपीआरओ के साथ मिलकर गुणवत्ता प्रबंधन प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए। सत्र में किसानों को छँटाई एवं श्रेणीबद्ध महुआ के नमूने दिखाए गए तथा अच्छी उपज को अलग करने और उचित मूल्य प्राप्त करने के लिए उत्पादन को ग्रेड देने की आवश्यकता को बताया गया। साथ ही उत्पादन प्रबंधन तथा बिक्री से जुड़ी सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों और उन्हें खराब मौसम में बेहतर दर अर्जित करने के लिए प्रभावी भंडारण तकनीकों को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया। प्रशिक्षण सत्रों से 11 विभिन्न समुदायों के 110 से अधिक किसान लाभान्वित हुए।
बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक राजेश कुमार ने ‘मोर जल मोर माटी’ परियोजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि बालको में, हम मानते हैं कि हमारा कृषक समुदाय इस क्षेत्र और बड़े पैमाने पर देश में आर्थिक विकास की रीढ़ है। अपने किसानों को आवश्यक कौशल और प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने एवं स्थायी व्यवसाय बनाने के लिए सशक्त बना रहे हैं। हम राष्ट्र निर्माण में सहयोग करने के उद्देश्य से तकनीकी और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से कृषक समुदाय का समर्थन करना जारी रखेंगे। हमें विश्वास है हमारे समर्पित प्रयास वास्तव में स्थानीय समुदायों के जीवन में बदलाव लाएंगे।
सत्र से लाभान्वित डुमरडीह गांव के किसान शिदार सिंह ने कहा कि मैंने महुआ को एक निश्चित मूल्य पर बाजार में बेचने से अच्छा फूलों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर तीन अलग-अलग श्रेणियों में बांटना सीखा। यह हमारे लिए फायदेमंद साबित हुआ क्योंकि तीनों श्रेणियों से अधिक मूल्य अर्जित करने से मेरी वार्षिक आय में वृद्धि हुई है।
प्रशिक्षण से किसानों की आय में वृद्धि के साथ उनके ग्राहकों को बिना जोखिम गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिल रहा हैं तथा जिसका लाभ अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचाया जाएगा। इस साल लगभग 50 क्विंटल महुआ के फूलों को किसानों द्वारा अलग-अलग श्रेणियों में संग्रहीत किया गया। प्रशिक्षित किसानों द्वारा अपनाई ग्रेडिंग और मानकीकरण से कई अन्य किसानों को समान तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। जिले में महुआ के लिए एक उचित और खुले बाजार को बढ़ावा मिला
वर्तमान में मोर जल मोर माटी परियोजना 32 गांवों में 1400 एकड़ से अधिक भूमि के साथ 2400 किसानों तक अपनी पहुंच बना चुका है।
इस परियोजना के तहत 70% से अधिक किसानों ने आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाया है जिसमें सिस्टमेटिक राइस इंटेंसीफिकेशन (एसआरआई), ट्रेलिस, जैविक खेती, जलवायु अनुकूल फसल, सब्जी और गेहूं की खेती आदि जैसी आजीविका बढ़ाने वाली गतिविधियों में लगे हुए हैं। लगभग 15% किसान आजीविका के लिए कृषि से साथ पशुपालन, बागवानी और वनोपज जैसी गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। किसानों के औसत वार्षिक आय में वृद्धि के साथ-साथ उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि और लागत में 40 प्रतिशत की कमी आई है।
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