रायपुर, 05 मई । भूपेश सरकार के अथक प्रयासों से 58 प्रतिशत आरक्षण सुप्रीम कोर्ट की अनुमति भूपेश सरकार के ईमानदार प्रयासों का प्रमाण है अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रदेश समन्वयक डॉ प्रकाश अनन्त ने कहा की 19 फरवरी 2022 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले से भाजपा का षड्यंत्र प्रमाणित हुआ, फैसले में स्पष्ट उल्लिखित है कि 2018 तक न्यायालय में मूल जवाब और संशोधित जवाब दोनों प्रस्तुत किए जा चुके थे जिसमें आरक्षण लागू करने के आधार, कमेटियों की रिपोर्ट को ही दुर्भावना पूर्वक रमन सरकार में छुपाए रखा। शपथ पत्र तक में ननकीराम कमेटी दस्तावेज़ और सीएस की अध्यक्षता की सिफारिश का जिक्र तक नहीं किया गया था।
भूपेश सरकार आने के बाद न्यायालय में दस्तावेज जमा करने की अनुमति मांगी गई लेकिन न्यायालय ने इस आधार पर मांग ठुकरा दी थी कि रमन सरकार को 2012 से 2018 तक पर्याप्त अवसर दिया गया, तब उन्होंने दस्तावेज़ जमा नहीं किए और शपथ पत्र तक में इन महत्वपूर्ण दस्तावेजों का जिक्र तक नहीं था। 76 प्रतिशत आरक्षण भूपेश सरकार का संकल्प और छत्तीसगढ़ की स्थानीय आबादी का अधिकार है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग सभी के लिए भी नवीन आरक्षण विधेयक में प्रावधान। छत्तीसगढ़ के जनसरोकार के इतने महत्वपूर्ण विधेयक पर एक तरफ तो भारतीय जनता पार्टी द्वारा विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान समर्थन देने की राजनीतिक नौटंकी की गई लेकिन उसके बाद इरादतन षड्यंत्रपूर्वक राजभवन में रोका गया।
गैर भाजपा शासित राज्यों में भाजपा के इशारे पर विधानसभा से पारित विधेयकों को रोकने का लगातार षड़यंत्र रचा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक पिछले 5 महीनों से राजभवन में लंबित है, भाजपा के किसी भी नेता ने आज तक राजभवन से तत्परता बरतने की अपील नहीं की। झारखंड में इसी तरह का सर्व सम्मति से पारित आरक्षण विधेयक वापस कर दिया गया, लेकिन भाजपा शासित राज्य में आरक्षण विधेयक पर महामहिम ने तत्काल हस्ताक्षर कर दिए।58 प्रतिशत आरक्षण हाईकोर्ट में खारिज हो गया था जिसको भूपेश बघेल की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया जहा न्याय मिला।
आज भी जहाँ देश में अराजकता, द्वेष भावना, जातिगत भेदभाव, तानाशाही रवैया चरम पर है, वहीं संविधान की सर्वदा जीत सुनिश्चित कराने हेतु छत्तीसगढ़ सरकार की प्रतिबद्धता प्रसंशनीय है सराहनीय है।
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