नई दिल्ली, 30 अप्रैल । Parenting Tips: अक्सर देखा जाता है कि नए माता-पिता के रूप में लोग भ्रमित महसूस करते हैं। कई बार ऐशी स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जहां पहली बार माता-पिता बनने वाले कपल बच्चों की पैरेंटिंग को लेकर काफी कंफ्यूज रहते हैं। खासकर जब बच्चे बढ़ने और विकसित होने की राह पर होते हैं। एक बार जब बच्चा एक साल का हो जाता है, तो उसके विकास और सीखने की दर में तेजी आने लगती है। वो तेजी से अपने आस-पास की चीजों पर गौर करने लगता है और उन्हीं आदतों को अपनाना शुरू कर देता है। ऐसे में पैरेंट्स की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है। कुछ सरल गतिविधियां इसमें आपकी मदद कर सकते हैं और उनकी वृद्धि और विकास को सही दिशा में बढ़ा सकते हैं। चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ टिप्स के बारे में।
बच्चों को छोटी उम्र से ही सिखाएं ये आदतें
भाषा और संवाद
इस उम्र में बच्चा तेजी से सीखने की ओर अग्रसर होता है और अपनी बातों को संवाद के जरिए समझाने की कोशिश करते हैं। इस दौरान वो भाषा और शब्दों को समझने की प्रक्रिया में होते हैं। 15 महीने तक अधिकांश बच्चे अपना पहला शब्द कहना सीखते हैं और इधर-उधर इशारा करते हुए अपनी बातों को समझाते हैं कि उन्हें क्या चाहिए। इस दौरान आप बच्चों को सामान्य शब्दों और सांकेतिक भाषा के जरिए सिखाने की शुरुआत कर सकते हैं। भाषा पर पकड़ बनाने के लिए बच्चों को घर के आसपास की वस्तुओं दिखाकर सिखाएं।
बारीक कला और कौशल
जैसे-जैसे बच्चे बढ़ते हैं उनमें होने वाला कौशल सुधार जारी रहता है। इस दौरान बच्चे को क्रेयॉन और पेन पकड़ना सिखाएं ताकि वो उससे कुछ बनाना सीखें। इसके अलावा उम्र के हिसाब से उनके लिए खिलौने चुनें, जैसे कि लकड़ी के ब्लॉक या पेग बोर्ड।
सोशल स्किल
बच्चे खेलना पसंद करते हैं, लेकिन इतनी सी उम्र में वे बड़े बच्चों की तरह खेलने में इंटरएक्टिव नहीं हो सकते हैं। इसलिए आप कोशिश करें आपका बच्चा दूसरे बच्चों के साथ खेले ताकि उनमें सामाजिक कौशल का विकास हो। एक वर्ष के बच्चे अपने आसपास के अन्य लोगों की नकल करके दूसरों के साथ घुल मिल कर रहना सीखते हैं। यह उनके लिए सामाजिक व्यवहार करना सीखने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।
दुनिया की बातें
बच्चे को उनके आसपास की दुनिया से परिचित कराएं और उन्हें हर समय घर में न रखें। उन्हें घर के आसपास के पार्क में ले जाएं और पेड़ों, घास, जानवरों समेत अन्य लोगों चीजों से रू-ब-रू करवाएं। इसके अलावा आप उन्हें अन्य लोगों के घरों में भी ले जा सकते हैं।
सेंसिबल एक्टिविटी
बच्चों से ऐसी गतिविधियां करावाएं, जिसमें वो अपनी इंद्रियों का उपयोग करें। ऐसा करने से उन्हें चीजों को एक्सप्लोर करने और उन्हें समझने में मदद मिलेगी। इससे उनकी इमेजिनेशन और मानसिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
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