कोरबा, 29 अप्रैल । दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल जो कि दीपका क्षेत्र में कला का केन्द्र माना जाता है, अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस को विशेष रूप से मनाया गया । आईपीएस दीपका में नृत्य प्रशिक्षक श्री हरिशंकर सारथी सर के द्वारा विद्यार्थियों का कत्थक, बिहू, भरतनाट्यम, ओडिसी, पंजाबी, गुजराती, मराठी, गरबा, हिप-हॉप, ब्रेक डांस, अरबन डांस, रोबोटिक्स डांस इत्यादि का प्रशिक्षण दिया जाता है।
इस अवसर पर विद्यालय के नृत्य शिक्षक श्री हरिशंकर सारथी सर के द्वारा बच्चों को नृत्य की विविध विधाओं का ज्ञान दिया गया साथ ही अपने आकर्षक नृत्य शैली जो कि परंपरागत व आधुनिकता से सजा था के द्वारा नृत्य करके नटराज नमन किया गया । श्री हरि सारथी सर ने विद्यार्थियों को नृत्य की विविध विधाओं से अवगत कराया।हरि सर ने बच्चों को बताया कि आज डांस के कई फॉम हैं। हम कई विधाओं में स्वयं को पारंगत कर सकते हैं। आज इस क्षेत्र में पैसा व पहचान दोनों की कमी नहीं है।नृत्य हमारे मन के भावों की अभिव्यक्ति होती हैं। हम यदि तन और मन से प्रसन्न होते हैं तो हम नृत्य करते हैं अर्थात नृत्य हमारी प्रसन्नता का परिचायक है।आज ओडिसी,कत्थक,भरतनाट्यम जैसे नृत्य विधाओं को विश्वस्तर में ख्याति प्राप्त हैं।इन नृत्यों को सीखने कि लिए बहुत अधिक साधना और अभ्यास की आवश्यकता होती है।हमारी कोशिश है कि हम विद्यार्थियों को नृत्य की सभी कलाओं में पारंगत करें। विद्यार्थियों की नृत्य कलाओं को आप विद्यालय की आगामी वार्षिकोत्सव में प्रत्यक्ष देखकर आनंदित होंगे।
इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि नृत्य भावना की आराधना है । हमारे मन में बसी भावना को व्यक्त करने का नृत्य एक सशक्त माध्यम है । साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है, यह हमारी मानसिक एवं शारीरिक थकान को मिटाकर मस्तिष्क को ताजगी से भर देता है । नृत्य हमारे तन और मन दोनों की ताजगा का परिचायक है।इससे हमारे चेहरे पर प्रसन्नता और संतृष्टि का भाव झलकता है।
यह मानव मन को आनंदित कर जीवन मेंइ उमंग की लहर का संचार करता है।यह मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है।यह एक सार्वभौम कला है जिसका जनम मानव जीवन के साथ हुआ है।बालक जन्म लेते ही रोकर अपने हाथ पैर मारकर अपनी भावाभिव्यक्ति करता है कि वह भूखा नहीं है-इन्हीं आंगिक क्रियाओं से नृत्य की उत्पति हुई।यदि हम नृत्य करते हैं तो कैलोरी बर्न होती है।मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।संतुलन में सुधार होता है।हमारे शरीर का लचीलापन बढ़़ता है। नृत्य संज्ञानात्मक विकास को बढ़ाने में सहायक होता है।
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