मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व पंडवानी गायिका पद्मश्री श्रीमती उषा बारले को मानद उपाधि

हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के प्रथम दीक्षांत समारोह में 13 शोधार्थियों को पीएचडी और 135 छात्र-छात्राओं को मिला स्वर्ण पदक

नवीन ऑडिटोरियम निर्माण व श्री नरेन्द्र देव वर्मा शोधपीठ की घोषणा

पीएचडी डिग्री व स्वर्ण पदक मिलने से विद्यार्थियों के चेहरों में आई मुस्कान

रायपुर, 24 अप्रैल । हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के प्रथम दीक्षांत समारोह व विश्वविद्यालय के 8वें स्थापना दिवस समारोह आज भिलाई इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ। समारोह की अध्यक्षता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री बिश्वभूषण हरिचंदन ने की।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस गरिमामय दीक्षांत समारोह में 13 शोधार्थियों को पीएचडी और 135 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। समारोह में पर्यावरण संरक्षण व समाज कल्याण की दिशा में अद्वितीय कार्य के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंडवानी गायिका पद्मश्री श्रीमती उषा बारले को मानद उपाधि प्रदान की गई। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर पोटिया कला में 12 करोड़ रूपए की लागत से 40 एकड़ रकबे में निर्मित होने वाले विश्वविद्यालय के नवीन ऑडिटोरियम निर्माण एवं नरेंद्र देव वर्मा शोधपीठ की स्थापना की घोषणा की।

राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने अपने उद्बोधन में शिक्षा को सबसे ताकतवर हथियार बताया। उन्होंने दीक्षांत समारोह में उपस्थित शोधकर्ताओं व छात्र-छात्राओं दी जाने वाली उपाधि व स्वर्ण पदक को उनके सालों की कड़ी मेहनत का परिणाम बताया। उन्होंने इस बात की खुशी जताई की विद्यार्थी अपने जीवन के नये पड़ाव में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य मे कई चुनौतियां आएगी, लेकिन शोधार्थियों और छात्र-छात्राओं को अपने ज्ञान और कौशल से भविष्य निर्माण के नये अवसर भी मिलेंगे। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा ने जो शक्ति प्रदान की है, उसे आप अपने भविष्य निर्माण और समाज के निर्माण में लगाएं। उन्होंने विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की।

मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री बघेल ने ऑडिटोरियम में उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए स्वर्गीय श्री हेमचंद यादव जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जागरूकता के लिए ज्ञान जरूरी है और यह शिक्षा से प्राप्त होता है। उन्होंने शिक्षा में नैतिक मूल्यों के समावेश पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास की अवधारणा उन्हें शिक्षा से प्राप्त हुई है। इसी का परिणाम है कि छत्तीसगढ़ राज्य सुराजी गांव योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित हुआ है। इसके जरिए सभी वर्गों के लिए एक बेहतर इकोसिस्टम निर्मित हो रहा है। उन्होंने शासन की नरवा कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में प्रवाहित होने वाले 30 हजार नालों में से 13 हजार नालों का उपचार वाटर रिचार्जिंग के लिए किया गया है। इसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे है। भू-जल स्तर, सिंचाई के रकबे की वृद्धि और जैव-विविधता की स्थिति बेहतर हो रही है। मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों को जीवन में संयम और सदाचार को अपनाकर बेहतर समाज के निर्माण में सहभागी बनने का आव्हान किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने विश्वविद्यालय प्रशासन से पूछा कि आपने मुझे मानद उपाधि के लिए क्यों चुना। मुझे थोड़ा असहज लग रहा था। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना था कि हमने छत्तीसगढ़ राज्य में सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी कार्यक्रम तथा अन्य जनहितैषी योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए जो सफल नवाचार किए हैं, उसके लिए यह मानद उपाधि विश्वविद्यालय की ओर सहर्ष प्रदान की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जब मुझे यह उपाधि मिली तो मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मेरी धर्मपत्नी और पूरा परिवार इस मौके पर मौजूद हैं जैसे आप सबके परिवारजन मौजूद हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समारोह को संबोधित किया और शहरी और दूरस्थ अंचल में शिक्षा के विस्तार पर चर्चा की और क्षेत्र में शासन के योगदान के बारे में बताया। दीक्षांत समारोह में अध्यक्ष रामकृष्ण आश्रम राजकोट अति विशिष्ट अतिथि स्वामी निखिलेश्वरानंद, मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, सांसद लोकसभा श्री विजय बघेल, दुर्ग विधायक एवं अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ वेयर हाउस कॉपोरेशन श्री अरूण वोरा, विधायक श्री देवेन्द्र यादव, कुलसचिव श्री भूपेन्द्र कुलदीप, कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा व अन्य जनप्रतिनिधि, शिक्षक, प्राचार्य व अधिकारीगण उपस्थित थे।

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