जिले की दुग्ध उत्पादन को लेकर स्थिति बहुत अधिक मजबूत हुई : कलेक्टर

महासमुंद। कलेक्टर  निलेशकुमार क्षीरसागर बुधवार को  बाग़बाहरा के ग्राम सुखरीडबरी में दुग्ध उत्पादन सहकारी समिति के कार्यक्रम में शामिल हुए। कलेक्टर ने बल्क मिल्क कूलर 2000 लीटर का फ़ीता काट कर शुभारंभ किया। उन्होंने महासमुंद ज़िले को दुग्ध उत्पादन में और आगे ले जाने की बात कही।

उन्होंने कहा कि ज़िले की अधिकांश आबादी खेती किसानी से जुड़ी हुई है. अब दुग्ध उत्पादन को लेकर स्थिति बहुत अधिक मजबूत हुई है। ज़िले में बढ़ते दुग्ध उत्पादन को देखते हुए सभी पशुपालक खुश हैं। वहीं, उनकी आय बढ़ी है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर हुई है. अब दुग्ध उत्पादन में ज़िला आगे है। पशु चिकित्सा के क्षेत्र में एन.जी.ओ. के माध्यम से जिले में गोवर्धन सेवा एवं एकीकृत पशुधन विकास केन्द्रो का संचालन किया जा रहा है जिससे पशुओ को उत्तम व समय पर चिकित्सा सुविधा के साथ-साथ नस्ल सुधार कार्य में भी अच्छे परिणाम मिल रहे है भविष्य में इस सुविधा का अन्य क्षेत्रो में विस्तार किये जाने का प्रयास किया जाएगा।

कलेक्टर  क्षीरसागर ने कहा कि राज्य शासन की मंशानुरूप हम सब को बड़ी मेहनत और लगन से करना है। दुग्ध उत्पाद से बनी चीज बनाये जाने का भी सफल प्रयास किए गए है। दुग्ध से बनी सामग्री भी बनायी जायेंगी उसे और गति दी जानी है। यह ज़िला आकांक्षी ज़िला में शामिल है। इसके लिए राशि भी मिली है। इस अवसर पर उप महाप्रबंधक छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी संघ  मुकुल तायल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी ज़िला पंचायत  एस. आलोक, अध्यक्ष दुग्ध सहकारी समिति सुखरीडबरी  गोकुलराम साहू,  उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाए  आर.एच.पांडे, सीईओ जनपद बाग़बाहरा  फ़क़ीरचंद सहित अधिकारी कर्मचारी और संघ के पदाधिकारी उपस्थित थे। 

उप महाप्रबंधक  मुकुल तायल ने कहा कि बीएमसी 2000 लीटर के शुभारंभ के साथ अब यहाँ के दुग्ध उत्पादकों के दूध ख़राब होने की चिंता से मुक्ति मिलेगी। बिजली अचानक चली जाने पर यह कई घंटे काम करता है और दूध ख़राब नहीं होगा बिजली आने पर चार्ज हो जाएगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में दुग्ध उत्पादन के मामले में महासमुंद जिला आगे है। महासमुंद ज़िले से ही 50 फीसदी से दूध विकास निगम को जाता है। इसके लिए जिले में 200 से ज़्यादा सोसायटी के 8000 से ज़्यादा सदस्य कार्यरत हैं। छत्तीसगढ में प्रतिदिन उत्पादित होने वाले दूध में से जिले के सभी पांचों ब्लाकों से अधिक दूध जाता है।

दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य विकास निगम ने हाथ बढ़ाया है। जो निश्चित तौर पर पशुपालकों के लिए मददगार साबित हो रहा है। निगम की ओर से दुधारू पशु पालन करने के लिए लोन भी मुहैया कराई जा रही है।