मनमोहन सरकार ने जेल से निकाला लेकिन संसद में अतीक ने दे दिया था धोखा, जान लीजिए 2008 की कहानी…

नई दिल्ली। गैंगस्टर से पहले विधायक और फिर सांसद बने अतीक अहमद ने 2008 में विश्वासमत परीक्षण से गुजर रही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (UPA) के खिलाफ उस हाल में भी वोट किया था जब उसे पक्ष में मतदान करने की उम्मीद से फर्लो पर जेल से बाहर निकाला गया था। ऐसा कर अतीक ने समाजवादी पार्टी (SP) के व्हिप का भी उल्लंघन किया जिसके टिकट पर जीतकर वह लोकसभा पहुंचा था। वामदलों ने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार के विरोध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया। उसके बाद सरकार को विश्वासमत परीक्षण से गुजरना पड़ा था।

तब सपा के सांसद रहे अतीक अहमद ने अपनी पार्टी के ‘व्हिप’ की भी परवाह नहीं की और सत्तारूढ़ गठबंधन के विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था। लोकसभा के रिकॉर्ड से यह जानकारी मिली। ‘बाहुबलीज ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स: फ्रॉम बुलेट टू बैलेट’ नामक पुस्तक में दावा किया गया है कि अतीक ने ‘कर्तव्यपरायणता के साथ अपना कीमती वोट डाला था और इसमें कोई शक नहीं कि वह वोट संकटग्रस्त यूपीए सरकार के पक्ष में था।’ हालांकि, संसद के रिकॉर्ड के अनुसार, यह दावा गलत है।

लोकसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध रिकॉर्ड बताते हैं कि 22 जुलाई, 2008 को सदन ने ‘प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा पेश किए गए मंत्रिपरिषद में विश्वास प्रस्ताव पर आगे की चर्चा की।’ रिकॉर्ड के अनुसार, ‘यह सदन मंत्रिपरिषद में अपना विश्वास व्यक्त करता है।’ सरकार ने 256 के मुकाबले 275 मतों से विश्वास मत हासिल कर लिया था। प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वालों की सूची में अतीक अहमद का भी नाम है। अतीक सपा के उन छह सांसदों में शामिल थे, जिन्हें व्हिप का उल्लंघन करने पर पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। हालांकि, रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक में इसका कोई उल्लेख नहीं है। यह पुस्तक राजेश सिंह द्वारा लिखी गई है।