आज वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की वरूथिनी एकादशी व्रत है. आज विष्णु भक्त व्रत रखकर उनके वराह स्वरूप की पूजा करते हैं. पूजा के समय वरूथिनी एकादशी व्रत कथा सुनते हैं. इस दिन पूजा के बाद अन्न, वस्त्र, फल आदि का दान करते हैं. इस व्रत को करने से पाप मिटेंगे, मोक्ष और सौभाग्य मिलेगा. मृत्यु के बाद व्यक्ति को स्वर्ग प्राप्त होता है. आज वरूथिनी एकादशी पर 3 शुभ योग शुक्ल, ब्रह्म और त्रिपुष्कर योग बने हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं वरूथिनी एकादशी व्रत के शुभ मुहूर्त, योग और पूजा विधि के बारे में.
वरूथिनी एकादशी व्रत और पूजा विधि
आज प्रात: स्नान-ध्यान आदि से निवृत होकर साफ वस्त्र पहनें और सूर्य देव को जल से अर्घ्य दें. फिर हाथ में जल लेकर वरूथिनी एकादशी व्रत और विष्णु पूजा का संकल्प करें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर भगवान विष्णु या फिर उनके वराह अवतार की तस्वीर को स्थापित करें. जल से अभिषेक करें. उनको वस्त्र, पीले फूल, चंदन, माला आदि से सुशोभित करें.
फिर अक्षत्, पंचामृत, तुलसी के पत्ते, फल, फूल, बेसन के लड्डू या अन्य मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें या फिर जो विष्णु मंत्र याद हो उसका उच्चारण करें. भगवान विष्णु के दाईं और घी का एक दीपक जला दें. फिर विष्णु चालीसा और विष्णु सहस्रनाम पढ़ें. वरूथिनी एकादशी व्रत कथा सुनें.
वरूथिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त 2023
वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि की शुरूआत: 15 अप्रैल, रात 08 बजकर 45 मिनट से
वैशाख कृष्ण एकादशी तिथि की समाप्ति: 16 अप्रैल, शाम 06 बजकर 14 मिनट पर
विष्णु पूजा का शुभ मुहूर्त: आज, सुबह 07 बजकर 32 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक
शुक्ल योग: आज प्रात:काल से रात 12 बजकर 13 मिनट तक, उसके बाद से ब्रह्म योग प्रारंभ
त्रिपुष्कर योग: कल, प्रात: 04 बजकर 07 मिनट से सुबह 05 बजकर 54 मिनट तक
एकादशी व्रत पारण का समय: कल, सुबह 05 बजकर 54 मिनट से सुबह 08 बजकर 29 मिनट के मध्य तक
द्वादशी तिथि की समाप्ति: कल, दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर
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