खरीद बिक्री में जांच के आदेश से कटघोरा क्षेत्र में खलबली
कोरबा,04 मई 2025(वेदांत समाचार)। कोरबा तहसील के अंतर्गत कुछ गांव में हाल में ही जिला प्रशासन ने ऐसी सभी रजिस्ट्री को खारिज कर दिया जिनका संबंध कोटवारी भूमि से था। इसी के साथ सभी क्षेत्र में कोटवारी जमीन बेचने और खरीदने की जांच के आदेश राजस्व विभाग को दिए गए हैं । इसके कारण कटघोरा क्षेत्र में काफी खलबली मची हुई है। खबर है कि कटघोरा नगर के आसपास कई गांव में कोटवारी जमीन को बेच दिया गया है और साहूकारों उसकी खरीदी कर ली। और तो और आश्चर्यजनक तरीके से रजिस्ट्री के बाद नामांतरण भी हो गया।जानकार सूत्रों ने बताया कि कटघोरा, जेन्जरा, कसनिया और सुतर्रा जैसे इलाकों में भी बड़े पैमाने पर कोटवारी भूमि की खरीद-फरोख्त की गई है। कोरबा में खुलासा के बाद सभी क्षेत्र में ऐसे मामलों की जांच के निर्देश प्रशासन में दिए हैं। यह टीम न केवल पुराने भूमि अभिलेखों की समीक्षा कर रही है, बल्कि उन मामलों का भी परीक्षण कर रही है जो न्यायालय में विचाराधीन हैं। कोटवारी भूमि, जो ग्राम स्तर पर सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित होती है, उसकी बिक्री न केवल अवैध है बल्कि यह ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन भी है। ऐसे इलाके जहां आमतौर पर प्रशासन की सीधी निगरानी नहीं होती वहां इस प्रकार के अवैध सौदे जमकर हुई। भूमाफियाओं ने फर्जी दस्तावेजों और रजिस्ट्री के माध्यम से कोटवारी भूमि की खुलेआम खरीद-बिक्री की। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस पूरे रैकेट में शहर के कई रसूखदार और नामचीन लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने दलालों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनें खरीदीं। कोटवारी भूमि की अवैध बिक्री को लेकर तहसील कार्यालय में पहले भी कई शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन लंबे समय तक इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अब जब प्रशासन ने नामांतरण निरस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की है, तो उन लोगों में हडक़ंप मच गया है जिन्होंने इस जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया था या खरीदी-बिक्री की थी। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इन जमीनों का न केवल सीमांकन कराया गया, बल्कि बाकायदा रजिस्ट्री भी की गई है, जो स्पष्ट रूप से प्रशासनिक तंत्र में मिलीभगत की ओर इशारा करता है। अब जब जांच शुरू हुई है तो पूरे जिले में हडक़ंप की स्थिति है, और संभावना है कि आने वाले दिनों में कई बड़े नामों का खुलासा हो सकता है।