रायगढ सिंधी समाज और भारतीय सिंधु सभा ने बुजर्गो के बीच पहुँच कर खुशियां मनाईं

रायगढ़। 10 अप्रैल 1967 को भारतीय संविधान की आठवींं अनुसूची में भारत की प्राचीन सिंधी भाषा को शामिल किया गया था, तभी से विश्व सिंधी दिवस प्रतिवर्ष 10 अप्रैल को हजारों वर्षों पुरानी सिंध की संस्कृति को याद करते हुए उसे संरक्षित रखने के लिए मनाया जाता है।

इसे पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लोग तथा विश्व के भागों में बसे हुए सिंधी लोग मनाते हैं। यह दिन सिंध की संस्कृति को मनाने और उसे प्रदर्शित करने का दिन है।

सिंध के मूल निवासियों को सिंधी कहते हैं 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद सिंध के अधिकांश हिंदू और सिख यहां से भारत या अन्य देशों में जाकर बस गए पाकिस्तान में सिंधी भाषा नस्तालिक (यानीअरबी लिपि) में लिखी जाती है जबकि भारत में इसके लिए देवनागरी और नस्तालिन दोनों प्रयोग किए जाते हैं।

इस उपलक्ष्य में सोमवार 10 अप्रैल को रायगढ सिंधी समाज और भारतीय सिंधु सभा से भरत वलेचा, कर कानून सलाहकार कमल अंबवानी,अनिल आहूजा(पत्रकार), बंटी जग्यासी, महेश जेठानी (केंट प्रदेश उपाध्यक्ष), पवन जग्यासी, देवी हिंदुजा, प्रहलाद माखीजा, अजय खत्री अध्यक्ष भारतीय सिंधु सभा सहित समाज के लोग वृद्धा आश्रम पहाड़ मंदिर रोड और रिहैब फांउडेशन के कोटरा पाली स्थित बुजर्गो के मध्य पहुँचे और सिंधी भाषा दिवस की खुशियां उन्हें फल, लीचीजूस और खाद्य सामग्री वितरण कर मनाई इस अवसर पर वृद्धा आश्रम पहाड़ मंदिर रोड के बुजुर्गों ने अपनी वाणी से सभी लोगों को आशीर्वाद दिया।

कोटरा पाली में रिहैब फांउण्डेशन द्वारा संचालित स्टेशन बस स्टैंड में लावारिश रहने वाले लाचार बुजुर्गों को लाकर उनकी देखभाल देखकर समाज के कई लोगो की आँखे भर आईं और वे संचालिका जस्सी फिलिप को समाज कल्याण विभाग द्वारा इन बुजुर्गों की देखभाल में इनकी पूरी मदद करने पर अपना आभार जताया तथा आज सिंधी भाषा दिवस पर बुजुर्गों के प्रति उनके सम्मान में किसी प्रकार की कमी नही देखकर जस्सी दीदी को स्वयं विकलांग होकर भी ऐसे लोगो की सेवा करते देख समाज के लोग भी आश्चर्य चकित हो उठे। 10 अप्रैल को सिंधी भाषा दिवस पर सिंधी समाज के लोगो ने बुजुर्गों के बीच जाकर अपनी खुशियां मनाईं।

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