रायपुर, 06 अप्रैल। चुनावी वर्ष में छत्तीसगढ़ सरकार ने व्यय में गुणवत्ता लाने के लिए कैश मैनेजमेंट सिस्टम लागू कर दिया है। इसका उद्देश्य वित्तीय वर्ष में पूरे बजट का बेहतर उपयोग करना है और विभागों के प्लान पर व्यय के दौरान नियंत्रण रखा जा सके। सरकार का दावा है कि इससे जनवरी से मार्च में व्यय का आधिक्य (रश आफ एक्सपेंडिचर) नहीं होगा। वित्त विभाग ने सरकारी विभागों के लिए नई गाइडलाइन बना दी है।
राज्यपाल ने दी हरी झंडी
इसके अनुसार विभागों को पहली छमाही अप्रैल से सितंबर तक 40 प्रतिशत राशि का उपयोग करना होगा। छमाही की पहली तिमाही में 25 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 15 प्रतिशत खर्च करना जरूरी होगा। नए बजट को खर्च करने की अनुमति राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने दे दी है। राज्य सरकार ने 1.21 लाख करोड़ का बजट पेश किया है। इसी तरह दूसरी छमाही यानि अक्टूबर से मार्च तक 60 प्रतिशत बजट खर्च किया जाएगा। इसमें अक्टूबर से दिसंबर तक 25 और जनवरी से मार्च तक 25 प्रतिशत उपयोग किया जाएगा।
प्रथम व दूसरी छमाही में बजट का उपयोग व सर्वर में प्रविष्टि इन पर लागू नहीं होगी। जैसे वेतन-भत्ते, मजदूरी, कार्यालय व्यय, डाक कार्य पर व्यय, फोन का खर्च, बिजली व पानी का बिल, आकस्मिकता स्थापना, पेंशन व हितलाभ, डिक्री धन का भुगतान (भारित), तथा वाहन खरीदना। केंद्र प्रवर्तित, केंद्र क्षेत्रीय, विदेशी सहायता प्राप्त, परियोजनाओं तथा अतिरिक्त विशेष केंद्रीय सहायता प्राप्त योजनाओं के केद्रांश पर लागू नहीं होगी।
ये हैं गाइड लाइन
1. व्यय की सीमा तिमाही के लिए होगी।
2. व्यय सीमा प्रत्येक बजट नियंत्रण अधिकारी के लिए अलग-अलग होगी।
3. वित्तीय वर्ष की अंत में मार्च में अधिकतम 15 प्रतिशत खर्च किया जाएगा।
4. हर छमाही में तय से कम खर्च होने पर बजट राशि का 50 प्रतिशत, तृतीय तिमाही में व्यय के लिए कैरी फारवर्ड किया जा सकेगा। उस तिमाही में उसका उपयोग करना जरूरी होगा।
5. विभाग को तय से कम व्यय करने का कारण वित्त विभाग को बताकर अनुमति लेनी होगी।
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