कोरबा,04 अप्रेल(वेदांत समाचार)। South Eastern Coalfields Limited के 200 मिलियन टन के लक्ष्य में जिले के संचालित कंपनी के खदानों काे कोल इंडिया (Coal India) ने 78 फीसदी कोयला उत्पादन का टारगेट दिया है। इस तरह 157.72 मिलियन टन काेयला उत्पादन करना होगा। इस तरह पहले से अधिक कंपनी की निर्भरता बढ़ेगी। बीते वित्तीय साल में 182 मिलियन टन के लक्ष्य को नहीं हासिल कर पाई कंपनी का इस बार 18 मिलियन टन अधिक उत्पादन टारगेट बढ़ाया है।
कोल इंडिया Coal India की सहयोगी कंपनी एसईसीएल South Eastern Coalfields Limited पिछले दो वित्तीय वर्ष से कोयला उत्पादन के मामले में दूसरे नंबर पर है। एमसीएल ने बेहतर उत्पादन से कोल इंडिया की कोल प्रोडक्शन के मामले में नंबर वन कंपनी बनी हुई है। कंपनी का टारगेट भी बढ़ा दिया गया है। एमसीएल को सबसे अधिक 204 मिलियन टन का लक्ष्य दिया है। इसके बाद एसईसीएल South Eastern Coalfields Limited का लक्ष्य 200 मिलियन टन का है। कंपनी की स्थापना के बाद से अब तक का सर्वाधिक कोयला उत्पादन 167 मिलियन टन का है जिसे वित्तीय वर्ष 2022-23 में हासिल किया। इस उपलब्धि में 50 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने वाली देश की एकमात्र गेवरा एरिया की खदान का योगदान सबसे अधिक रहा। कंपनी के कोल डिस्पैच का भी लक्ष्य बढ़ाते हुए 200.5 मिलियन टन कर दिया है।
अधिग्रहण के बाद बसाहट की प्रक्रिया नहीं बढ़ रही आगे
एसईसीएल गेवरा खदान ने माइंस विस्तार कर कोयला उत्पादन क्षमता बढ़ाने नराईबोध, भठोरा की जमीन का अधिग्रहण किया है। भिलाईबाजार समेत आसपास के गांवों की भी जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में है। भठोरा के भूविस्थापितों को पुर्नवास गंगानगर में बसाहट दी है। एसईसीएल के यहां बन रहे सब स्टेशन के बाद उत्खनन शुरू होगा। नराईबोध के भूविस्थापितों को बसाहट देने जमीन की तलाश हो रही है। कुसमुंडा खदान के समक्ष भी पाली, पड़निया व खोडरी के भूविस्थापितों को बसाहट देने की चुनौती है। खम्हरिया में बसाहट देने विरोध की वजह से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है।