पहले जिस पर कराई एफआईआर, बाद में उसी को सौंपा जिम्मा

रायगढ़ ।  सत्र 2021-22 के धान खरीदी में बोगस रकबे में धान खरीदी करने व अन्य कई प्रकार की गड़बड़ी के मामले में जिस समिति प्रबंधक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर हटाया गया था, 2022-23 के सत्र के बीच में उसी समिति प्रबंधक को वापस बैठाकर समिति का जिम्मा सौंप दिया गया है।

इन दिनों जिले में सहकारिता विभाग काफी चर्चा में है। कुछ दिनों पूर्व जिला सहकारी समिति के प्रबंधकों ने उपपंजीयक सहकारिता के खिलाफ कलेक्टर से शिकायत की। वहीं अब एक नया मामला सामने आया है। इसमें जिस सेवा सहकारी समिति में वर्ष 2021-22 में लाखों रुपए की गड़बड़ी पाई गई, बोगास धान खरीदी भी मिली, उस समिति के प्रबंधक प्रहलाद बेहरा पर एफआईआर दर्ज कराकर उसे समिति से हटाया गया।
एफआईआर दर्ज होने के बाद लंबे समय तक प्रहलाद गायब रहा और फिर हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत लेकर वापस लौटा। विभाग के अधिकारियों की मानें तो हाईकोर्ट ने बोगस रकबे की एंट्री के लिए जिम्मेदार प्रबंधक का ना होना बताते हुए उसे जमानत दे दी थी।


जिसके आधार पर प्रबंधक ने संयुक्त पंजीयक सहकारिता के समक्ष बहाली के लिए अपील की और प्रबंधक प्रहलाद बेहरा की बहाली की हो गई। आश्चर्य की बात तो यह है कि वर्ष 2022-23 के धान खरीदी के बीच में ही उसकी बहाली सहकारिता विभाग ने करते हुए उसके जिम्मे फिर से इसी धान खरीदी केंद्र राजपुर को सौंप दिया।

अभी वसूली भी है शेष

विदित हो कि पूर्व में भी जांच के दौरान बोगस रकबे में धान विक्रय दिखाते हुए भुगतान किया गया है। इसके अलावा जितनी जमीन नहीं है उससे अधिक क्रय दिखा कर भुगतान किया जाना पाया गया है। इसमें जांच रिपोर्ट के आधार पर राशि की वसूली होनी है, लेकिन अब तक वसूली नहीं हो पाई है।

संचालक मंडल का चुनाव ही नहीं

सेवा सहकारी समितियों में एक बार राज्य सरकार ने संचालक मंडल का चुनाव ही नहीं कराया। जिसके कारण समितियों में विभाग द्वारा प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त कर काम चलाया जा रहा है। इसी का नतीजा है कि समिति प्रबंधक प्रहलाद बेहरा के कार्यकाल में इतनी व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी किए जाने के बाद भी उसे वापस उसी केंद्र को सौंप दिया गया।