Exporters को कई शासकीय सुविधाएं, बड़े निर्यातक हब के रूप में विकसित होने की तरफ बढ़ रहा छत्तीसगढ़

एक्सपोर्ट आउटरीच कार्यक्रम में कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भुरे हुए शामिल

नवा रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में रायपुर जिले के साथ राज्य से निर्यात बढ़ाने और निर्यातकों की समस्या-सुविधाओं पर हुई चर्चा

रायपुर 13 मार्च । नवा रायपुर में आयोजित एक्सपोर्ट आउटरीच कार्यक्रम में निर्यातकों और निवेशकों ने रायपुर जिले के साथ छत्तीसगढ़ राज्य से निर्यात बढ़ाने के लिए की जाने वाली तैयारियों पर आज खुलकर चर्चा की। विदेश व्यापार महानिदेशालय भारत सरकार के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में प्रशासन की ओर से कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भुरे भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य से निर्यात योग्य उत्पादों और निर्यातकों को दी जाने वाली शासकीय सुविधाओं की भी जानकारी दी गई।

कार्यक्रम में निर्यातकों और निवेशकों ने अपनी समस्याएं भी रखी और निर्यात बढ़ाने के लिए सुझाव भी दिए। कार्यक्रम में ट्रीक, सफेक्सिल, उद्योग विभाग, लघु वनोपज फेडरेशन, एपिडा, सीडबी के साथ-साथ बैंक आफ बड़ोदा के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। भारत सरकार के विदेश व्यापार निदेशालय द्वारा जिलों को एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से निर्यात बढ़ाने की संभावनाओं वाले देश के 75 जिलों में ऐसे कार्यक्रम किए जा रहें हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में इसके लिए रायपुर एवं दुर्ग जिले का चयन किया गया है।

कार्यक्रम में कलेक्टर ने कहा कि छत्तीसगढ़ देश में चावल सहित कई उत्पादों का प्रमुख निर्यातक राज्य है। राज्य शासन ने एक्सपोटर्स को कई सुविधाएं दी है। राज्य से निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए सवंर्धन समिति बनाने के साथ मंडी शुल्क में पांच प्रतिशत की छूट से लेकर औद्योगिक नीति में निर्यातकों के लिए विशेष प्रावधान भी किए गए है। कलेक्टर ने कहा कि शासकीय सुविधाओं और मदद से छत्तीसगढ़ तेजी से एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित होने की तरफ बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में शासन की नीतियों और सुविधाओं से राज्य के निर्यात में 22 प्रतिशत से अधिक औसत वृद्धि हुई है। कलेक्टर ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ से चावल, कस्ट्रक्शन मशीनरी और मटेरियल तथा प्रसंस्कृत मसालों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहें है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में बनने वाले वायर, राॅड, बार, क्वाइल, टीएमटी सरिए, क्रूड स्टील के साथ-साथ वनोपजों इमली, महुआ, लाख और लघु धान्य मिलेट्स कोदो कुटकी रागी आदि के निर्यात की संभावनाओं और इनके लिए कार्य योजना बनाने पर भी जोर दिया।


 
कार्यक्रम में मौजूद निर्यातकों और निवेशकों ने छत्तीसगढ़ को निर्यात की दृष्टि से संभावना का प्रदेश बताया। निर्यातकों ने चावल के निर्यात को बढ़ाने के लिए जारी मंडी शुल्क में 5 प्रतिशत की छूट को आगे भी जारी रखने की मांग रखी। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अभी चावल निर्यातकों को एक साल के लिए मंडी शुल्क 5 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। जिसकी अवधि अगले 2 महिनों में खत्म होने वाली है। निर्यातक समूहों ने छत्तीसगढ़ के लेंड लाॅक राज्य होने की बात कहते हुए निर्यातक इकाईयों को परिवहन के लिए भी रियायत देने की मांग की। कुछ निर्यातक समूहों ने प्रोसेसिंग प्लांटों के आधुनिकीकरण के लिए सरकारी सहायता उपलब्ध कराने की मांग कार्यक्रम में की।

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