एच3एन2 इन्फ्लुएंजा तेजी से फैल रहा है, सतर्कता बरत कर ही वायरस से बचा जा सकता है

कोविड-19 वायरस की तरह ही है इन्फ्लूएंजा का विषाणु। यह इन दिनों देश में अपना खतरनाक प्रभाव दिखाने लगा है, जिससे अब तक हरियाणा और कर्नाटक में एक-एक मौत भी हो चुकी है। इस नये वायरस से खांसी, बुखार और गले में जलन की तकलीफें बढ़ रही हैं। इन दिनों गला खराब होने की शिकायत आम है जो पीड़ित को लम्बे समय तक परेशान कर रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में एच3एन2 वायरस के लगभग 90 मामले सामने आए हैं। एच1एन1 वायरस के आठ मामलों का भी पता चला है। विशेषज्ञों के अनुसार वायरस अत्यधिक संक्रामक है और संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने और निकट संपर्क से फैलता है। डॉक्टरों ने नियमित रूप से हाथ धोने और मास्क लगाने समेत कोविड जैसी सावधानियों की सलाह दी है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने छींकने और खांसने के दौरान मुंह और नाक को ढंकने, बहुत सारे तरल पदार्थ, आंखों और नाक को छूने से बचने और बुखार और शरीर में दर्द के लिए पेरासिटामोल के सेवन का आग्रह किया है। नये वायरस को लेकर बरती जा रही लापरवाही नुकसान का कारण बन सकती है।

इसलिए भी लोगों को अपने स्वास्थ्य को लेकर लगातार सावधानी बरतने की अपेक्षा है। बाहर निकलते समय ऐसे तमाम उपाय अपनाने चाहिए जिनसे वातावरण में पनप रहे विषाणुओं को शरीर में प्रवेश करने से रोका जा सके। पर ऐसी स्थितियों में सरकारी स्वास्थ्य तैयारियां भी पहले से रहनी चाहिए, ताकि लोगों में अफरातफरी जैसी स्थिति न बनने पाए। आम जनता भी अपनी जीवनशैली को सात्विक एवं संयममय बनाये, ताकि नये वायरस का प्रभाव कम से कम हो।

पिछले कुछ महीनों से अधिकांश लोग खांसी के शिकार होते हुए देखे गये हैं। देश में फ्लू के मामले भी बढ़ रहे हैं। अधिकांश संक्रमण एच3एन2 वायरस के कारण होते हैं, जिसे ‘हांगकांग फ्लू’ के रूप में भी जाना जाता है। यह वायरस देश में अन्य इन्फ्लुएंजा उपप्रकारों की तुलना में अधिक खतरनाक है जो अस्पताल में भर्ती होने का कारण बनता है। भारत में अब तक केवल एच3एन2 और एच1एन1 संक्रमण का पता चला है। दोनों वायरस में कोविड जैसे लक्षण हैं। जैसा कि सर्वविदित है कि कोविड ने दुनिया भर में लाखों लोगों को संक्रमित किया और 68 लाख लोगों की मौत हुई। महामारी के दो साल बाद बढ़ते फ्लू के मामलों ने लोगों में चिंता पैदा कर दी है। लक्षणों में लगातार खांसी, बुखार, ठंड लगना, सांस फूलना और घरघराहट शामिल हैं। मरीजों ने मतली, गले में खराश, शरीर में दर्द और दस्त की भी सूचना दी है। ये लक्षण लगभग एक सप्ताह तक बने रह सकते हैं।

भारत की संस्कृति एवं जीवनशैली ने पूर्व कोरोना कहर को परास्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। क्योंकि योग, अहिंसा, शाकाहार, संयम आदि जीवन के आधारभूत जीवनमूल्य इसी देश की माटी में रचे-बसे हैं। विशेषतः भारत में जैन धर्म एवं उसका जीवन-दर्शन कोरोना संकट के दौर में समाधान के रूप में सामने आया है, जैनमुनि मुंह पर पट्टी (मुंहपत्ती) बांधते हैं, जिसे मास्क के रूप में समूची दुनिया ने अंगीकार किया था।

सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग), आइसोलेशन, व क्वारंटीन (एकांत) जैन मुनि एवं साधक के जीवन के अभिन्न अंग दुनिया के लिये कोरोना मुक्ति के सशक्त आधार बने थे। शाकाहार एवं मद्यपान का निषेध भी जैन जीवनशैली का आधार है, जिनका बढ़ता प्रचलन कोरोना महासंकट से मुक्ति का बुनियादी सच बना था। लगता है कोरोना जाते-जाते दुनिया में शाकाहार का सशक्त वातावरण बना कर गया, लेकिन नये एच3एन2 और एच1एन1 के संक्रमण भी ऐसे भारतीय प्रयोगों एवं उपक्रमों को बडे़ पैमाने पर अपनाने की अपेक्षा को जाहिर कर रहे हैं।