कोरबा,25 फरवरी(वेदांत समाचार)। लोड एडजस्टमेंट की आड़ में कोरबा जिले में सरगबुंदिया रेलवे स्टेशन के निकट अघोषित कोल साइडिंग का संचालन किया जा रहा है। इसकी आड़ में कोयला की चोरी जोरों पर है। यह सारा काम धड़ल्ले से हो रहा है लेकिन इसके संचालन और गतिविधियों को लेकर संबंधित विभाग से लेकर रेलवे के अधिकारी भी मौन बने हुए हैं। एसईसीएल के कोयले की यहां चोरी हो रही है और बड़ा सवाल है कि आखिर इस अवैध कोयला साइडिंग को किसका संरक्षण प्राप्त है। यहां सब कुछ अवैधानिक तरीके से चल रहा है।सरगबुंदिया रेलवे स्टेशन के निकट ही कुछ साल पहले कोयला साइडिंग बनाया गया था जहां खदानों से आने वाले कोयले को माल वाहनों के जरिए गंतव्य के लिए भेजा जाता था। स्थानीय स्तर पर काफी विरोध के बाद लगभग 5 साल संचालन उपरांत इस साइडिंग को बंद कर दिया गया लेकिन दूसरे कार्य की आड़ में यहां फिर से अघोषित तौर पर कोल साइडिंग संचालित किया जा रहा है।
खदान से रेल मार्ग के जरिए भेजे जाने वाले कोयले के जो अवशेष रास्ते भर खासकर स्टेशन मार्ग में गिरते हुए आते हैं, उन्हें एकत्र करने के बाद गंतव्य तक पहुंचाने के लिए महाराष्ट्र की एक कंपनी यहां काम कर रही है। इस कंपनी के संचालन और देखरेख का जिम्मा जिसे दिया गया है उसके माध्यम से उक्त कार्य की आड़ में कोयले के रैक/ वैगन खाली किए जा रहे हैं।विश्वस्त सूत्रों की मानें तो परिवहन के दौरान गिरने वाले कोयले की मात्रा जो ज्यादा नहीं होती और बमुश्किल एक से दो ट्रक कोयला महीने भर में एकत्र हो पाता है .
लेकिन दूसरी ओर मालगाड़ियों में ओवरलोड कोयला खदान के भीतर से ही भरवाया जा कर इसे बरबसपुर के पास खाली कराया जाता है। ओवरलोड के साथ-साथ वैगन से भी कोयला निकाला जा कर बड़े पैमाने पर चोरी हो रही है। यहां हर दिन 50 से 60 तक ट्रक और दूसरे वाहनों से चोरी कहें या अवैध तरीके से भंडारण किया जाता है। यह कोयला पड़ोसी जिले के एक संयंत्र और कोल वाशरी को बेचा जा रहा है। बताया जा रहा है कि जिस कंपनी को सरगबुंदिया में लोड एडजस्टमेंट कार्य करने का ठेका रेलवे के द्वारा कथित तौर पर दिया गया है, उस कंपनी के कुछ कर्मचारी रेलवे के अधिकारियों से मिलीभगत कर लाखों रुपए का चूना हर महीने लगा रहे हैं।
0 प्रधानमंत्री सड़क का दम निकाल रहे
अवैधानिक ढंग से एकत्र कोयला को परिवहन करने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क का भी उपयोग हो रहा है जो कि नियमों के बिल्कुल विपरीत है। हर दिन 60 से 70 भारी वाहनों से कोयला परिवहन हो रहा है और ये वाहन प्रतिबंधित मार्ग पर दौड़कर प्रधानमंत्री सड़क का दम निकाल रहे हैं। परिवहन विभाग और उड़नदस्ता की टीम के साथ-साथ पीएमजीएसवाई के मैदानी अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता के कारण ऐसे वाहनों की धरपकड़ नहीं हो रही है। सिर्फ यही मार्ग नहीं बल्कि जिले के और भी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क भारी वाहनों की चपेट में हैं।
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