रायपुर ,24 फरवरी । प्रत्यक्ष नाम मां ने अपने बेटे का रखा था, ताकि हमेशा उसकी आंखों के सामने रहे। लेकिन जब प्रत्यक्ष थोड़ा बड़ा हुआ, तो पता चला कि वो ठीक से देख नहीं पाता है। प्रत्यक्ष की मां नीलावती राठिया के लिए यह दुख पहाड़ के समान था। परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के चलते इलाज करा पाना भी संभव नहीं हो पा रहा था। समय बीतता रहा और प्रत्यक्ष 3 साल का हो गया। नीलावती ने उम्मीदें छोड़ दी थीं कि अब उनका बेटा कभी देख भी पाएगा। ऐसे में मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना नीलावती के लिए वरदान बन कर आई। यहां से प्रत्यक्ष की मां को पता चला कि उसे मोतियाबिंद है और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा शुरू की गई डॉ.खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना से उसका इलाज भी निःशुल्क हो जाएगा। आखिरकार वो दिन भी आ गया जब प्रत्यक्ष की आंखों का ऑपरेशन हो गया और उसकी आंखों की रोशनी लौट आई।
रायगढ़ के सोनबरसा की रहने वाली कोमल चौहान दूसरी कक्षा में पढ़ती है। बार-बार बीमार रहने से कोमल के घरवाले परेशान रहते थे। कुछ ऐसी ही कहानी चपले गांव की रहने वाली पायल पटेल और राजपुर गांव के युवान कुजूर की भी थी। बीमारी की वजह से बच्चे हंसना-मुस्कुराना भूल गये थे। इन तीनों मासूम बच्चों के परिजनों को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें।दरअसल पायल, कोमल और युवान को दिल की बीमारी थी, जिसे गांव के डॉक्टर समझ नहीं पा रहे थे। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम स्कूल पहुंचकर जब जांच की तो पता चला कि तीनों बच्चों के दिल में छेद है, जिससे वो बीमार रहते हैं। इसके बाद उन्हें डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना के तहत रायपुर के बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया और तीनों का निःशुल्क इलाज कराया गया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा शुरू की गई डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना की वजह से ही आज कोमल, पायल और युवान जैसे हजारों मासूमों की जान बच रही है। उन्हें नया जीवन मिल रहा है। राज्य के नागरिकों को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना एवं मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना संचालित की जा रही है। राज्य में डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना अंतर्गत लगभग 64 लाख से अधिक बीपीएल राशन कार्डधारी परिवारों को प्रतिवर्ष रूपए 5 लाख तक तथा शेष सभी प्रकार के अन्य राशन कार्डधारी परिवारों को रू. 50 हजार तक के नगद-रहित उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। चार सालों में 3643.09 करोड़ की राशि के 36.43 लाख से अधिक क्लेम किए जा चुके हैं।
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