KORBA : कलेक्टर साहब मैं जिन्दा हूँ ! पीड़ित युवक ने जनचौपाल में लगाई गुहार…जानिये पूरा मामला…

कोरबा, 21 फरवरी (वेदांत समाचार) । राजस्व मंत्री के जिले में राजस्व विभाग की कारगुजारियाँ थमने का नाम नहीं ले रही। गेवरारोड -पेंड्रारोड़ रेल कॉरिडोर परियोजना में संयुक्त खाता में भू -अर्जन के बाद मुआवजा वितरण में ऐसा खेल खेला गया कि जीवित वारिसान को राजस्व रिकार्ड में मृत दर्शा दिया गया। 6 लाख रुपए के मुआवजा में से एक सिक्का भी नहीं पाने वाले जीवित वारिसान ने कलेक्टर जन चौपाल में अपने जीवित होने का प्रमाण देते हुए कूटरचना करने वाले हल्का पटवारी सहित उनके हिस्से की मुआवजा की राशि हड़पने वालों के विरुद्घ कार्रवाई करने की गुहार लगाई। मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं।

राजस्व विभाग की कूटरचना से पीड़ित कटघोरा थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बरतराई निवासी प्रार्थी विक्रम दास पिता लछनदास पनिका 35 वर्ष ने कलेक्टर जनचौपाल में सौंपे शिकायत पत्र में उल्लेख किया है कि मौजा ग्राम डोंगरतराई तहसील पोंडी उपरोड़ा में उनके पूर्वज की भूमि ख. न.390/2 रकबा 0.162 हेक्टेयर भूमि गेवरारोड पेंड्रारोड़ रेल कॉरिडोर में अर्जित हुआ है। जिसकी मुआवजा राशि को नारायणदास (फूफा)) निवासी गांगपुर एवं बचनदास पिता ज्ञानदास द्वारा पटवारी से मिलीभगत कर जालसाजी पूर्वक उनका (विक्रमदास) का मुआवजा नामांतरण पत्र में फ़ौत दर्शाकर जमीन की दो किश्त की 6 लाख रुपए की मुआवजा राशि को अकेले हड़प लिया है। मेरे पूर्वज जुगल दास पिता मंहगू दास की रेल कारीडोर में अर्जित भूमि का मुआवजा भी उनके द्वारा हड़प लिया गया है।

सम्बंधितों ने पटवारी को गलत जानकारी देकर नामांतरण पत्र में उन्हें मृत दर्शा दिया है।पीड़ित ने कलेक्टर से प्रकरण में हल्का पटवारी सहित उनके स्वामित्व के अर्जित भूमि का मुआवजा डकारने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की गुहार लगाई है। पीड़ित विक्रमदास ने प्रकरण में 29 नवंबर 2022 को कलेक्टर एसपी को प्रस्तुत किए गए शिकायत पत्र की प्रति भी दिखाई। जिसके बावजूद आज पर्यन्त उन्हें न्याय नहीं मिला।

कलेक्टर को जीवित होने संबंधी दिखाए दस्तावेज

कलेक्टर जनचौपाल में विक्रमदास पिता लछनदास ने अपने जीवित होने एवं राजस्व विभाग की कूटरचना से जुड़े विभिन्न दस्तावेज साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत किए।जिसकी प्रति मीडिया को भी दिखाई। जिसमें अधिकार अभिलेख ,2007 का पंचनामा ,बी वन प्रस्तुत किए। अधिकार अभिलेख व पंचनामा में उनका नाम वारिसान के तौर पर दर्ज है जबकि बी वन में उनके नाम के सम्मुख कूटरचना की गई है।