विदेश में ठेठ छत्तीसगढ़ी पहनावा को खूब पसंद करते हैं : उर्वशी साहू

राजिम ,18 फरवरी  माघी पुन्नी मेला में पहुंची छत्तीसगढ़ के चरित्र अभिनेत्री उर्वशी साहू अभिनय और नृत्य करने में माहिर है। मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की बोली भाषा और कला संस्कृति को संजो कर रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। आजकल नए कलाकार तुरंत सक्सेस होने की चाहत रखते हैं और होते भी हैं इनके पीछे सिर्फ मेहनत है। उन्होंने आगे कहा कि बहु को बेटी के समान दर्जा दे और बहू भी अपने सास-ससुर को माता-पिता की तरह सम्मान करें तो घर परिवार में खुशहाली जरूर आएगी। हमारे पूरे कार्यक्रम शिक्षाप्रद होते हैं। आज से 25 साल पहले हमने माया के संदेश लोक कला मंच खड़ा किया जिनकी प्रस्तुति देशभर में हो चुकी है। पिछले 2 माह में 40 से भी अधिक कार्यक्रम कर चुके हैं। लोक कला मंच के क्षेत्र में खूब प्रस्तुतियां दी है। खुद मेरे नाना स्वर्ण कुमार साहू चरणदास चोर के राइटर है। दादा रेवाराम गणेशराम पंडवानी पार्टी तथा पापा ईश्वर लाल साहू गोदना गोदा ले रीठा ले ले ले…,

गीत के लेखक है मां राज भारती आर्केस्ट्रा के पहली गायिका रही है। कलाकारी मुझे विरासत में मिला है। 5 साल की उम्र से कला की दुनिया में काम कर रही हूं। 15 वर्ष की उम्र में चंदैनी गोंदा और अनुराग धारा जैसे प्रसिद्ध लोक कला मंच में नृत्य करती रही। उस समय तीजनबाई के टीम में देश विदेश घूमने का खूब मौका मिला। अंडमान निकोबार में राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के हाथों सम्मानित हुई हूं। वहां से आने के बाद तीजन बाई की टीम मनमोहना टूट गई। उसके बाद माया के संदेश अलग से टीम बना लिया और इसी के सहारे विदेश जाने का भी अवसर मिला। इटली में हमारी शानदार प्रस्तुति हुई। देशभर में जैसे कि देहरादून, गुड़गांव, हरियाणा, रोहतक, उत्तराखंड, केरल, कोच्चि इत्यादि जगहों पर खूब प्यार और दुलार मिला। छत्तीसगढ़ के बाहर छत्तीसगढ़ी पहनावा को लेकर खूब चर्चा होती है। छत्तीसगढ़ी आभूषण लोगों को खूब पसंद है। बाहर ज्यादा मेकअप नहीं करते। ठेठ परिधान में रहते हैं वैसे विदेश में भाषा दिक्कत नहीं देती। वहां द्विभाषी लोग रहते हैं जिनके कारण हमें अपने विचार अभिव्यक्ति में स्वतंत्रता मिल जाती है।

उन्होंने आगे बताया कि कचरा बोदरा की प्रस्तुति ने मुझे खासतौर से पहचान दी। लॉकडाउन के समय छत्तीसगढ़ी में पहली बार झगड़ा को दर्शकों ने खूब पसंद किया। शीघ्र कचरा और बोदरा पर फिल्म रिलीज होने वाली है वैसे शिव कुमार दीपक और कमल नारायण सिन्हा दोनों पुरुष है लेकिन औरत की कपड़े पहन कर कॉमेडी करते थे हम लोगों ने सोचा कि क्यों ना यह कॉमेडी हमें किया जाए और मैं और उपासना दोनों ने छत्तीसगढ़ी में झगड़ा किया। हमें अंदेशा नहीं थी कि छत्तीसगढ़ी झगड़ा इतना हिट हो जाएगी इसमें ठेठ छत्तीसगढ़ी भाषा है इसलिए अपने मुकाम तक पहुंची है। मेरी दिली इच्छा है कि जब तक जिंदगी रहे कला में हर क्षण गुजरे। वह राजिम माघी पुन्नी मेला की व्यवस्था को लेकर बहुत प्रसन्न दिखी। इस मौके पर मीडिया सेंटर में उनका सम्मान किया गया प्रमुख रूप से संचालक श्रीकांत साहू, युवराज साहू, रोशन साहू, संतोष कुमार सोनकर, प्रकाश वर्मा, योगेश साहू, चेतन चौहान, वीरेंद्र साहू इत्यादि उपस्थित थे।