बस्तर के आदिवासी ग्रामीणों को आर्थिक रूप ले सशक्त कर रहा है रूरल इंडस्ट्रियल पार्क

जगदलपुर ,13 फरवरी  ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की मंशा से राज्य सरकार ने रीपा यानी कि रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की शुरुआत की है, जो अपनी मंशा में सफल होता दिख रहा है। बस्तर के ग्रामीण भी इसका लाभ ले रहे हैं। राज्य सरकार की पहल और जिला प्रशासन की मेहनत से बस्तर के तुरेनार में 5 एकड़ में ग्रामीण औद्योगिक पार्क ‘रीपा‘ तैयार किया गया है। यह पूरे देश का पहला ग्रामीण औद्योगिक पार्क है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पहले चरण में प्रदेश के सभी विकासखण्डों में दो-दो ग्रामीण औद्योगिक पार्क तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें तुरेनार में प्रदेश का सबसे पहला रीपा बनकर तैयार हो गया है, जो प्रदेश का सबसे सबसे बड़ा रीपा भी है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 26 जनवरी को इसका लोकार्पण किया। 20 वर्किंग शेड्स में तैयार तुरेनार का यह इंडस्ट्रियल पार्क युवाओं, महिलाओं और ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ रहा है। वहीं इन वर्किंग शेड्स के साथ ही यहां प्रशिक्षण केंद्र और आवासीय प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं के लिए आवासीय परिसर भी तैयार किया गया है। तुरेनार के इस रीपा सेंटर में जिला प्रशासन के सहयोग से विभिन्न महिला स्व सहायता समूहों को जोड़ा गया है। जो मशरूम, स्पॉन लैब और आएस्टर मशरूम उत्पादन कर रहे हैं। इसके साथ ही यहां काजू प्रसंस्करण, कोदो, कुटकी ,रागी ,मसाला, तिखुर प्रसंस्करण और अचार का भी काम ग्रामीण कर रहे हैं।

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कोसा से रेशम धागाकरण, मुर्गी पालन, अंडा उत्पादन, तेल पेराई, नॉन वुवेन बैग, पेपर बैग ,प्राकृतिक पत्तों से दोना पत्तल, गोबर पेंट, सूती वस्त्र, मछली दाना और मुर्गी दाना भी यहां तैयार हो रहा है। जिन्हें बाजार में बेचकर ग्रामीण आर्थिक लाभ कमाएंगे। रीपा में ही काम करने वाली नीतू नेताम धनिया-मिर्च प्रसंस्करण में काम करती हैं। नीतू कहती हैं कि पहले वो खेतों में काम करती थीं। काफी मेहनत करना पड़ता था लेकिन रीपा में काम करने से उन्हें अच्छा लग रहा है। वे कहती हैं कि सरकार ने रीपा का सेटअप डालकर दिया है उसके लिए वे राज्य सरकार की आभारी हैं। नीतू के साथ ही काम करने वाली प्रिया कहती हैं कि वे एक गृहिणी हैं। यहां ग्रामीण औद्योगिक पार्क के स्थापना से उन्हें भी अपनी आमदनी बढ़ाने का अवसर मिला है, जिससे वे अपने परिवार का बेहतर ढंग से भरण-पोषण कर सकेंगी।

प्रिया बताती हैं कि उन्होंने कालीपुर से ट्रेनिंग ली है। ट्रेनिंग पूरा करने के बाद अब वे रीपा के शेड में काम कर रही हैं। यही नहीं बाजार-हाट में वे अपने उत्पाद भी बेच रही हैं। रीपा के गोबर पेंट शेड में काम करने वाली शांति इसलिए खुश हैं क्योंकि अब उन्हें अपना घर छोड़कर शहर नहीं जाना पड़ रहा है। बातचीत के दौरान शांति कहती हैं कि पढ़ाई के बाद उन्होंने कुछ समय तक जगदलपुर में काम किया। लेकिन पैसे कम मिलते थे और रहने-खाने की परेशानी भी होती थी। लेकिन अब रीपा के खुलने से आस-पास के बेरोजगार युवाओं को भी काम मिल रहा है। शांति कहती हैं कि उद्घाटन के समय वे मुख्यमंत्री बघेल से मिली थीं और उन्हें गोबर पेंट भी भेंट किया है।