कवर्धा ,12 फरवरी । प्रदेश में तालुका न्यायालय के स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक सभी न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष श्रीमती नीता यादव कबीरधाम ने शनिवार को लोक अदालत का शुभारंभ विद्या की देवी सरस्वती के फोटोचित्र पर पूजा अर्चना कर दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इसके बाद अन्य न्यायाधीश, उपस्थित पक्षकार एवं अधिवक्ता तथा अन्य संस्थाओं के अधिकारियों द्वारा भी दीप प्रज्जवल किया गया।
न्यायमूर्ति छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर गौतम भादुड़ी ने नेशनल लोक अदालत का निरीक्षण किया गया। इस दौरान पंजाब नेशनल बैंक कवर्धा द्वारा प्रस्तुत एक प्रकरण में 1 लाख 34 हजार 339 रुपए की वसूली के लिए प्री-लिटिगेशन प्रकरण पेश किया गया था। इस प्रकरण के उभयपक्षकारों को न्यायमूर्ति के समझाईश दिए जाने पर ब्याज आदि राशि कम करने पर उभय पक्ष के मध्य मात्र 20 हजार रूपए में राजीनामा हो गया। इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में बैंक ऑफ महाराष्ट्र द्वारा 6 लाख 50 हजार रूपए से अधिक राशि वसूली के प्रकरण में उभयपक्षकारों के मध्य मात्र 5 लाख 03 हजार 214 रुपए में सहमति हुई एवं प्रकरण राजीनामा के आधार पर समाप्त हुआ। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कबीरधाम द्वारा पक्षकारों कर्मचारियों एवं अधिवक्तागण के लिए पुलाव वितरण की व्यवस्था की गई थी। इसकी भी प्रशंसा करते हुए न्यायामूर्ति ने कहा कि अन्य जगहों पर भी उक्त व्यवस्था किया जाना चाहिए।
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मोहल्ला लोक अदालत के संबंध में हुई चर्चा
न्यायमूर्ति छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर गौतम भादुड़ी द्वारा जिला अधिवक्ता संघ के अधिवक्तागण के साथ मुलाकात के दौरान बिलासपुर, रायपुर जैसे स्थानों पर प्रथम बार आयोजित मोहल्ला लोक अदालत के संबंध में चर्चा की गई। यह भी चर्चा की गई कि जनोपयोगी समस्याओं से संबंधित प्रकरणों के संबंध में अधिवक्तागण भी विशेष रूचि लेते हुए उक्त प्ररकणों के संबंध में अधिक से अधिक व्यक्तियों को जागरूक करे तथा इस कम खोजे गए विषय के अधिक से अधिक प्रकरणों के निराकरण के लिए प्रयास करे, जिस पर अधिवक्तागण द्वारा भी अपनी सहमति दी गई।
नेशनल लोक अदालत के दौरान एक महत्वपूर्ण घटना न्यायमूर्ति के समक्ष घटित हुई। कोर्ट जिला एवं सत्र न्यायालय के दो लिपिकगण का प्रकरण कुटुम्ब न्यायालय कबीरधाम के समक्ष लंबित था। समझाईश दिए जाने पर न्यायमूर्ति के समक्ष ही दोनों लिपिकगण द्वारा एक साथ रहने की सहमति व्यक्त की, जिससे उनका परिवार उजड़ने से बच गया। न्यायमूर्ति द्वारा उन्हें भविष्य के लिए समझाईश दी गई तथा उपभयपक्ष के उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें शुभकामनाएं भी दी गई। इस प्रकार लोक अदालत में एक टूटे हुए परिवार को पुनः एक कर दिया।
लोक अदालत में राजीनामा योग्य समस्त प्रकृति के प्रकरण रखे गए थे। जिनमें से 700 से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया गया। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के प्रकरणों में जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदया द्वारा कुल 14 प्रकरण का निराकरण करते हुए 75 लाख 90 हजार रूपए की अवार्ड राशि पारित की गई। इसके अतिरिक्त कुटुम्ब न्यायालय द्वारा कुल 22 प्रकरणों का निराकरण किया गया। राजस्व न्यायालय में कुल 3145 प्रकरणों का निराकरण हुआ।
चिव अमित प्रताप चन्द्रा, द्वारा उक्त जानकारी दी गई। लोक अदालत के दौरान वर्चुअल मोड अर्थात् विडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भी प्रकरणों का निराकरण किया गया। किशोर न्याय बोर्ड में 23 प्रकरणों का निराकरण किया गया, जो कि कबीरधाम के संबंध में सर्वाधिक संख्या है। नेशनल लोक अदालत में जिला न्यायालय में कुल 9 खण्डपीठ गठित की गई थी। उक्त नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन के अनुक्रम में समस्त न्यायालयीन कर्मचारी, पैरालिगल वालिन्टियर्स, जिला प्रशासन, जिला पंचायत, नगर पालिका, पुलिस विभाग सहित अन्य समस्त विभागों का भरपूर सहयोग रहा है।
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