सखी वन स्टॉप सेंटर ने अब तक 47 मानसिक विक्षिप्तता प्रकरणों पर की कार्रवाई

कवर्धा ,10 फरवरी  ‘सखी’’ वन स्टॉप सेंटर द्वारा प्रकरणों का निराकरण कर लगातार पुनर्वास कर रही है। इसी के अंतर्गत सखी ’’वन स्टॉप सेंटर’’ द्वारा मानसिक रुप से विक्षिप्त महिलाओं का इलाज करा कर उनका उचित पुनर्वास किया जा रहा है। 25 जनवरी को सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक जिला कबीरधाम द्वारा विक्षिप्त महिला उम्र लगभग 23 वर्ष, को 108 वाहन के माध्यम से सुबह 7 बजे बाएं हाथ में फ्रेक्चर होने के कारण जिला चिकित्सालय कबीरधाम में भर्ती कराए जाने, चिकित्सक के निरीक्षण, परीक्षण व शारीरिक उपचार पश्चात उन्हे मनोरोग उपचार की आवश्यकता होने के कारण पुनर्वास करने के संबंध में अग्रीम कार्यवाही करने के लिए लेख किया गया।

महिला से बात करने पर ज्ञात हुआ कि महिला को पूर्व में उसके परिजन द्वारा मानसिक ईलाज के लिए राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) भेजा गया था। पुनः उसके मानसिक स्थिति मे सुधार नही होने के कारण ‘‘सखी’’ वन स्टॉप सेंटर जिला कबीरधाम द्वारा रिम्स रायपुर (छत्तीसगढ़) भेजा गया। इलाज उपरांत डिस्चार्ज कराया गया लेकिन महिला के परिजनों द्वारा उसके दवाईयों की व्यवस्था लगातार नही करने, उसके भोजन एवं अन्य दैनिक आवश्यकता की पूर्ति नही करने, अभाव पूर्ण जीवन होने के कारण उसके मानसिक स्थिति पर विपरीत असर हो रहा था।

सखी वन स्टॉप सेंटर द्वारा महिला के परिजन से संपर्क किया गया तथा परिजनों को महिला एवं उसके दुधमूहें बच्चे को साथ रखने की सलाह दी गई। लेकिन महिला के परिजनों द्वारा उसे अपने साथ रखने से मना कर दिया गया साथ ही महिला द्वारा अपने परिजनो के साथ रहने से मना किया गया। महिला अपने परिजनों के साथ रहने में असुरक्षित महसूस कर रही थी। ऐसे में महिला के मानसिक इलाज के साथ-साथ उसके आश्रय की भी समस्या सामने आई। जिसके बाद महिला एवं उसके दुधमूहें बच्चे को कलेक्टर के निर्देशानुसार समाज कल्याण विभाग जिला बालेद द्वारा संचालित घरौंदा में आश्रय दिया गया। जहां महिला एवं उसके नाबालिक बच्चे को आश्रय देने के साथ ही साथ समय-समय पर देखभाल, अनुश्रवण एवं चिकित्सकीय सहायता प्रदाय किया जाएगा।

सेंटर के समक्ष 2017 से अब तक मानसिक विक्षिप्तता के कुल 47 प्रकरण प्राप्त हुए है, जिन्हे ‘‘सखी’’ वन स्टॉप सेंटर द्वारा राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी बिलासपुर, रिम्स रायपुर अथवा अन्य स्थानों पर भेजा जाता है। ईलाज उपरांत ठीक होने पर महिला को उनके परिजनों, अथवा अन्य किसी संस्था में भेज कर उसका पुनर्वास किया जाता है साथ ही उनका लगातार फॉलोअप कर उनके स्वास्थ्य, दवाइयों की जानकारी ली जाती है। उल्लेखनीय है कि हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही छत के नीचे किसी भी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही छत के नीचे अस्थायी आश्रय देने के साथ पुलिस, विधिक सहायता, चिकित्सा सुविधा, मनोवैज्ञानिक परामर्श की सुविधा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से ‘‘सखी’’ वन स्टॉप सेंटर 8 मार्च 2017 में खोला गया है।

पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सेवा प्रदाताओं की नियुक्ति की गई है। इसके अलावा प्रतिनियुक्ति आधार पर 3 महिला नगर सैनिक, 1 ए.एन.एम. एवं 1 पैरालीगल वॉलिन्टियर की सुविधा ली जा रही है। ‘सखी’’ वन स्टॉप सेंटर को प्राप्त प्रकरण में सबसे अधिक घरेलू हिंसा से प्रकरण सामने आए है। घरेलू हिंसा के साथ दहेज प्रताड़ना, मानसिक प्रताड़ना, प्रेम संबंध, दैहिक शोषण, धोखाधड़ी, साइबर अपराध, व्यक्तिगत विवाद, मानसिक विक्षिप्तता, टोनही प्रताड़ना, संपत्ति विवाद जैसे अनेक मामले सामने आए है।