छत्तीसगढ़ में अगर किसी कस्बे को अपने स्टेशन में किसी भी ट्रेन का स्टाॅपेज चाहिए, तो यह रेलवे की कमाई को आधार बनाकर ही मिल पाएगा। भारतीय रेलवे से जोन को मिले पत्र के मुताबिक जिस ट्रेन का स्टापेज चाहिए, संबंधित स्टेशन से रोजाना कम से कम 40 यात्री होना चाहिए और वह भी ऐसे कि रिजर्वेशन करवाकर कम से कम 500 किमी का सफर करें। इसके अलावा, यात्री संख्या इतनी हो कि संबंधित स्टेशन से रोज कम से कम 16 हजार रुपए कमा ले।
तभी किसी कस्बे को मनचाही ट्रेन का स्टाॅपेज मिल पाएगा। कोरोना लॉकडाउन के बाद रेलवे बोर्ड ने छोटे स्टेशनों में मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टॉपेज बंद कर दिया है। जहां ट्रेन रुकती थीं, वहां पैसेंजर भी थे, भले ही उतने न हों। स्टाॅपेज बंद होने से सिर्फ वह कस्बा नहीं, बल्कि लगे क्षेत्रों को भी लाॅकडाउन जैसी परेशानी झेलनी पड़ रही है। क्योंकि ट्रेन रुकना बंद हो गई। रेलवे बोर्ड ने अब ट्रेनों को शुरू करने की अनुमति दी है, तो वह भी सभी जोन को अलग-अलग नियमों के मुताबिक है।
नए सिरे से परीक्षण की तैयारी : रेलवे जोन ने जो नियम बनाए हैं वे अभी लागू हैं। कोरोना लॉकडाउन के बाद से मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों के स्टॉपेज बोर्ड स्तर पर तय किए गए थे। उसके बाद जहां-जहां टिकटों की बिक्री और आय बढ़ी वहां के स्टॉपेज बढ़ाए भी जा रहे हैं। रेलवे बोर्ड ने समस्त जोन से इसके बारे में जानकारी भी मंगवाई है। हालांकि सभी जानकारियों प्रत्येक महीने रेलवे बोर्ड को भेजी जा रही है।
एक ट्रेन के लिए न्यूनतम 40 रिजर्वेशन टिकट
रेलवे ने स्टाॅपेज शुरू करने के लिए देशभर के लिए एक ही नियम बना दिया है। नए नियम के मुताबिक रेलवे बोर्ड ने किसी स्टेशन पर मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टापेज देने के लिए शयनयान श्रेणी में 500 किमी या उससे अधिक की दूरी पर प्रतिदिन प्रति ट्रेन 40 या उससे अधिक टिकट बिकें। अर्थात यह न्यूनतम सीमा भी रिजर्वेशन टिकट की है, जनरल की नहीं।
टिकट इतने बिकना चाहिए कि रेलवे को उससे होने वाली आय 16 हजार 672 रुपए से लेकर 22 हजार 442 रुपए के बीच हो। जिस ट्रेन के लिए कोई स्टेशन इस मापदंड को पूरा करेगा, वहीं उसका स्टाॅपेज होगा। ऐसा जिस ट्रेन के लिए स्टाॅपेज चाहिए, उसी के लिए रहेगा। कमाई इससे कम हुई, तो उन स्टेशनों में मेल-एक्सप्रेस का स्टॉपेज नहीं दिया जाएगा।
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