बिलासपुर ,05 फरवरी । संत रविदास की 746 वी जयंती पर रविवार को विविध कार्यक्रम आयोजित हुए। कर्बला में रविदास नगर में स्थित उनके मंदिर और प्रतिमा स्थल पर पहुंचकर संत रविदास की पूजा अर्चना की गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य भी संत रविदास मंदिर पहुंचे, जहां उनके जीवन प्रसंगों की चर्चा करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया गया। रविदास नगर में स्थित उनकी प्रतिमा पर भी आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने भी माल्यार्पण किया। इस दौरान संघ परिवार से प्रदीप देशपांडे, रणवीर सिंह मरहास रामेंद्र लोकेश राम साहू अनिल श्रीवास्तव प्रदीप शर्मा दिग्विजय सिंह, धनंजय गिरी गोस्वामी आदि मौजूद रहे।
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हिंदू धार्मिक ग्रंथों और सनातन परंपराओं में व्यक्ति का सम्मान उसके कर्मों से होता है न कि जाति से। इसके सबसे बड़े उदाहरण महर्षि बाल्मीकि और संत रविदास है। संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा की तिथि संवत 1388 को हुआ था। उन्हें लोग रैदास के नाम से भी जानते हैं। संत रविदास का नाम मध्यकाल के सुधारवादी आंदोलनों से जुड़ा हुआ है। जिन्होंने आगे चलकर रैदासिया पंथ की स्थापना की। इन्हें सदगुरु और जगद्गुरु की उपाधि भी दी जाती है। इनके कई भजन गुरु ग्रंथ साहिब में भी शामिल किए गए हैं। माना जाता है कि इनका जन्म वाराणसी में हुआ था। संत रैदास ने आध्यात्मिक ज्ञान गुरु रामानंद से अर्जित किया था। रैदास संत कबीर के समकालीन माने जाते हैं। पेशे से चर्मकार और स्वभाव से भक्ति रस के कवि रैदास की कई कालजई रचना आज भी जगत प्रसिद्ध है।
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