फिल्म अभिनेत्री महिमा चौधरी ने विश्व कैंसर दिवस पर इंदौर में एक निजी अस्पताल के कार्यक्रम के दौरान कहा,‘‘मैं बिस्तर पर आराम के दौरान संजय दत्त को अचरज भरी निगाहों से देखते हुए सोचती थी कि…

Indore: फिल्म अभिनेत्री महिमा चौधरी ने शनिवार को कहा कि वह कैंसर से अपनी जंग के दौरान अभिनेता संजय दत्त और टेनिस की दिग्गज खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा के उस जज्बे से प्रेरित हुईं जिसके दम पर दोनों हस्तियां इस बीमारी से लड़ने के बावजूद अपने नियमित पेशे में सक्रिय रहीं. चौधरी ने विश्व कैंसर दिवस पर इंदौर में एक निजी अस्पताल के कार्यक्रम के दौरान कहा,‘‘मैं बिस्तर पर आराम के दौरान संजय दत्त को अचरज भरी निगाहों से देखते हुए सोचती थी कि कितनी कमाल की बात है कि वह कैंसर से जंग के दौरान जगह-जगह जा रहे हैं, फिल्मों की शूटिंग में शामिल हो रहे हैं और हिट फिल्में भी दे रहे हैं.’’

नवरातिलोवा की कहानियों से हुई प्रेरित

उन्होंने बताया कि कैंसर से लड़ने के दौरान उन्होंने पढ़ा था कि मार्टिना नवरातिलोवा ने स्तर कैंसर की सर्जरी के महज दो हफ्ते बाद एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हुए टेनिस कोर्ट पर वापसी की थी. चौधरी (49) ने सुभाष घई की फिल्म “परदेस” (1997) से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी. अभिनेत्री ने कहा,‘‘मैं दत्त और नवरातिलोवा की इन कहानियों से प्रेरित हुई और मैंने सोचा कि जब ये लोग कैंसर से जंग के दौरान खुद को मजबूत रखकर अपने नियमित पेशे में सक्रिय रह सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं रह सकती? फिर मैंने ठान लिया कि मुझे भी इसी जज्बे को अपनाना है.’’

समाज में अब कोई वर्जना नहीं

उन्होंने कहा कि कैंसर को लेकर समाज में अब कोई वर्जना नहीं है और आजकल कैंसर के किसी मरीज की मदद के लिए वे लोग भी उसके साथ खड़े हो जाते हैं, जो उसके दोस्त तक नहीं हैं. चौधरी ने कहा,‘‘किसी भी व्यक्ति को कैंसर से डरने की जरूरत नहीं है. खासकर हमारी फिल्मों में भी पहले दिखाया जाता था कि कैंसर पीड़ित मरीज की हमेशा मौत हो जाती है. यह हौवा हमारे दिमाग में बैठा हुआ है, लेकिन तब के मुकाबले अब कैंसर का इलाज बहुत अच्छा है.’’
अभिनेत्री ने याद किया कि जब उन्हें पता चला कि वह स्तन कैंसर की मरीज हैं, तो उन्होंने यह बात अपने माता-पिता को नहीं बताई, लेकिन इस बीमारी से जंग के दौरान उन्हें उनकी बेटी, दोस्तों और निजी कर्मचारियों का पूरा सहयोग मिला. चौधरी ने कहा,‘‘मैं अपने माता-पिता के साथ रहती हूं. मेरी मां उनके स्वास्थ्य को लेकर दो-तीन साल से संघर्ष कर रही हैं और मेरे पिता की उम्र 82 साल है. इसे देखते हुए मैंने अपने कैंसर की इलाज की बात उन्हें नहीं बताई क्योंकि मुझे लगता था कि यह जानकर दोनों घबरा जाएंगे.’’

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