जांजगीर-चाम्पा 03 फरवरी । जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव जांजगीर-चाम्पा जिले की एक नई पहचान बन गई है। दो दशक से भी अधिक समय से आयोजित हो रहे इस महोत्सव में उमड़ने वाली भीड़ यह साबित करती है कि महोत्सव में मंच पर प्रस्तुत होने वाले कार्यक्रम उनका मनोरंजन ही नहीं करते, अपितु अपनी छत्तीसगढ़ी संस्कृति, परम्परा और रहन-सहन में समां जाने को विवश भी कर देते हैं। कुछ ऐसे ही खुशनुमा माहौल और हल्की ठण्ड के बीच जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव में लोकरंग का रस कुछ ऐसा घुला कि रातें गुलजार हो गई। पारम्परिक संगीत की धुनों में देहाती अंदाज में झूमते-गाते कलाकारों ने अपने शानदार प्रदर्शन से सभी का मनोरंजन ही नहीं किया, उन्हें गुनगुनाने, थिरकने और छत्तीसगढ़ी संस्कृति में कुछ पल के लिए खो जाने को भी मजबूर कर दिया। गीत, संगीत और नृत्य के अदभुत कला संगम की बानगी सभी के जेहन में समाने के साथ जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव को भी यादगार बना गया।
जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव और एग्रीटेक कृषि मेला 2023 का आयोजन विगत दो वर्ष के अंतराल के पश्चात जांजगीर के हाई स्कूल मैदान तथा मण्डी प्रांगण नैला में पुनः आयोजित किया जा रहा है। तीन दिवसीय महोत्सव में गीत, संगीत, नृत्य की वह श्रृंखला है, जिसमें नामी कलाकारों के साथ स्थानीय कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर दिया जा रहा है। पहले दिन प्रख्यात छत्तीसगढ़ी पंडवानी गायिका ऋतु वर्मा से पंडवानी को देखने सुनने के पश्चात दर्शकों के लिये रात्रि में लोकरंग अर्जुन्दा का कार्यक्रम प्रस्तुत हुआ। अपने कार्यक्रम को एक अलग ही अंदाज में प्रस्तुत करने और दर्शकों में गहरी छाप छोड़ जाने वाले लोकरंग में छत्तीसगढ़ी वेशभूषा, खान-पान, रहन-सहन और यहां के महत्वपूर्ण तीज-त्यौहारों की झलक दिखाई दी। करमा, ददरिया के साथ सुआ नृत्य, गौरी-गौरा नृत्य तथा मादर, अन्य वाद्य यंत्रो के साथ अन्य पारम्परिक धुनों के बीच कार्यक्रम की प्रस्तुति ने महोत्सव में खूब समां बांधा।
हास्य कार्यक्रमों से उनके कलाकारों ने सभी को ठहाके लगाने मजबूर किया, वही विवाह गीत, देशभक्ति, मनोरंजन के बीच स्वच्छता का संदेश देकर सभी को स्वच्छता अपनाने की सीख भी दी। छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध गायिका अल्का चंद्राकर ने भी मण्डी प्रांगण में अपने गायन से धूम मचाई। उनके द्वारा जसगीत के साथ यहां के लोगों के होंठो में बसे ढोल बाजे रे, नगाड़ा बाजे रे…जैसे छत्तीसगढ़ी गीतों को गाकर थिरकने और ताली बजाने को विवश किया। ओडिसी नृत्य कलाकार लकी मोहंती द्वारा मंच पर नृत्य का ऐसा रूप दर्शकों को देखने मिला कि सभी अपनी नजरें गड़ाए हुए उनके हर मुद्राओं और भाव-भंगिमाओं को कौतुहलवश निहारते रहे। बीती रात जहां महोत्सव स्थल के मेले में खचाखच भीड़ थीं, यहां लगे सभी झूलों से लेकर स्टॉलों में जाने लोगों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा था, ऐसे क्षणों में छालीवुड सुपरस्टार पद्मश्री अनुज शर्मा ने अपनी टीम के साथ संगीत के साथ गीत प्रस्तुत कर दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा।
उन्होंने छत्तीसगढ़ी में भक्ति संगीत के साथ गीत आरूग दीया जलाए.., तोर भुवन म माई…सहित सुपरहिट छत्तीसगढ़ी फिल्मों के मया हो गे रे…, प्यार देहे बर आय रहिस.., माते रहिबे, माते रहिबे.. जैसे कई गीतों को गाकर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव में बाहर के कलाकारों के अलावा स्थानीय कलाकारों, स्कूली छात्र-छात्राओं ने भी शानदार प्रस्तुति से दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ी। महोत्सव स्थल पर मनोरंजन के अलावा राज्य शासन के विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी लोगों को मिल रही है। जिला प्रशासन की टीम महोत्सव के सुचारू संचालन के लिए आयोजकों के साथ समन्वय स्थापित कर जाज्वल्यदेव लोक महोत्सव को यादगार बनाने में अपनी भमिका का निर्वहन कर रहा है। दर्शक भी यहाँ आकर इस यादगार लम्हों को अपने मोबाइल कैमरे में हँसते-मुस्कुराते सँजो कर ले जाते हुए दिखे।
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