कोरबा, 01 फरवरी। कोविड 19 महामारी ने विगत 2 वर्ष पूर्व पूरे विश्व में शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा नुकसान पहुँचाया है । कई महीनों तक स्कूल बंद होने के कारण विद्यार्थियां के लेखन कौशल से लेकर सृजनात्मकताओं में कमी देखने को मिली है । अभी भी हम कोरोना के विभन्न वेरिएंट से कई देश जूझ रहे हैं ।कोरोनाकाल विभिन्न राज्यों की स्कूलें बंद रही हैं । ऐसी विषम परिस्थिति से निपटने के लिए शिक्षा जगत में भी अपने हथियार नहीं डालें बच्चों को ज्ञान देने के लिए ऑनलाइन एजुकेशन को विकल्प बनाकर बच्चों के पढ़ाई को जारी रखा और यह ऑनलाइन एजुकेशन लाकडाउन में कारोड़ों छात्रों के लिए वरदान साबित हुआ ।
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ऑनलाइन एजुकेशन में विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा से जुड़े रखने, विद्यार्थी जो चीजें भूलते जा रहे थे ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था ने उन सारी चीजों को समेटते हुए विद्यार्थियों को शिक्षा के प्रत्येक पहलू से जोड़े रखा । सरकार भी विद्यार्थियों की सुरक्षा को देखते हुए महामारी या लाकडाउन के स्थिति में ऑनलाइन शिक्षा को महत्व देती है । इसके लिए सरकार विभिन्न एप और विभिन्न योजनाओं के द्वारा बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान कर रही है । लेकिन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में जहाँ अधिकतर जनसंख्या गाँव में निवास करते हैं उन गाँव तक अभी भी तकनीकी सुविधा उपलब्ध नहीं है । जिससे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे आनलाइन पढ़ाई में पिछड़ते जा रहे हैं । ऐसी स्थिति अगर अगले और दो-तीन साल तक रही तो ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे निस्संदेह शिक्षा के क्षेत्र में काफी पिछड़ जाएँगें । गाँव-गाँव में इंटरनेट कनेक्टीविटी को बढ़ावा देने के लिए इस बजट सत्र से मुझे काफी उम्मीदें थीं जो पूरी हुईं । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट सुविधा बढ़ाने के उपायों के घोषणा बजट में किया । गरीब बच्चे जो स्मार्ट फोन की सुविधा से वंचित हैं या स्मार्ट फोन खरीदने में असमर्थ हैं तो उन बच्चों के लिए मोबाइल या लैपटाप देने पर विचार करना एक अच्छी पहल है। । कोरोना ने शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी के अहमियत को उजागर किया, सरकार भी इससे वाकिफ है । आज के बजट सत्र में शिक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन करना बहुत अच्छी बात है। इसके लिए अलग से फंड का एलान भी हो सकता किया गया । सभी सरकारी स्कूलों को इंटरनेट से जोड़ने के लिए बजट में कोई कई घोषणाएं हुई ताकि हमारा शिक्षा व्यवस्था महामारी के दौर में भी सुचारू रूप से चल सके ।
बजट सत्र में आनलाइन शिक्षा को बेहतर बनाने के साथ-साथ नए जमाने के शिक्षण उपकरणों में स्मार्ट क्लास रूम से लेकर वैचारिक सीखने के तरीके तक शामिल है । मुलभूत और प्रेक्टिकल सीखने के तरीकों में कम उम्र के बच्चों की जीवन का हिस्सा बनना चाहिए इसलिए एक व्यवस्था की आवश्यकता है जो देशभर में प्री-स्कूल स्थापित करें और ऐसा करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की व्यवस्था करें । नए उपकरणों के उपयोग के लिए शिक्षकों का उचित प्रशिक्षण भी शामिल है जो अलग-अलग शिक्षण विधियों का उपयोग कर विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करें ।
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नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षा में होने वाले खर्च में बढ़ोत्तरी हो इस वजह से बजट सत्र में बहुत सी उम्मीदें थीं जो इस बजट में हमें देखने को मिला ।अब देश में कई और आईआईएम और आईआईटी की स्थापना होगी । सरकार स्टार्टअप को बढ़ावा देने में बहुत ही रूचि ले रही है बजट में शिक्षा क्षेत्र में काम कर रहे स्टार्टअप छोटे संस्थानों को लंबी अवधि को टेक्स राहत देकर शिक्ष के दूरगामी सोच को व्यक्त किया है । इसके साथ ही उनको आसान शर्तों पर लोन देने की घोषणा बजट सत्र हुई । शिक्षा पर मिलने वाली सब्सिटी से अब हर गरीब का सपना साकार होगा।कम ब्याल दर पर लोन मिलने से अब हर मेधावी का ख्वाब पूरा होगा।गौरतलब है कि कोरोनाकाल में बहुत सी स्टार्टअप शुरू हुए । इन्हांने न केवल छात्रों को घर बैठे पढ़ाई जारी रखने में मदद की बल्कि पाठ्य सामाग्री का डिजिटाइजेशन भी बड़े पैमाने पर किया गया इससे छात्रों और अध्यापकों को बहुत मदद मिली । ऑनलाइन एजुकेशन की लोकप्रियता के साथ अब इसके नियमन के लिए अलग नियामक संस्था के गठन की माँग भी उठ रही है ।
शिक्षा जगत से जुड़े बहुत से लोगों का कहना है कि ऑनलाइन एजुकेशन का अब बहुत ज्यादा विस्तार हो गया है इसलिए इसके संचालन के संबंध में कायदे कानुन बनने चाहिए । साथ ही एक अलग नियामक संस्था भी होनी चाहिए जो पूरे सिस्टम पर नजर रखे । शिक्षा के क्षेत्र में नए चुनौतियों के साथ पुराने चुनौतियों को भी पुर्नविचार करने की आवश्यकता है । विद्यालयों में पानी, शौचालय, प्ले ग्राउंड की उत्तम व्यवस्था हो साथ ही खेलकूद, कला संगीत के पर्याप्त साधन हो जिससे बच्चे इन क्षेत्रों में रूचि लेने वाले अपना विकास कर सकें और अपना कैरियर बना सकें । यह सुविधा ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक स्कूलों तक पहुँचनी चाहिए । इस आधार पर भी हममें बजट से में काफी उम्मीदें बढ़ जाती है ।
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