बिलासपुर ,20 जनवरी I बिलासपुर-चांपा रूट पर 53 किलोमीटर तक चौथी लाइन कनेक्टिविटी का काम चल रहा है। इस व्यस्ततम रेल मार्ग पर स्थित गतौरा स्टेशन में 23 से 27 जनवरी तक नॉन इंटरलॉकिंग वर्क होगा। लेकिन, नॉन- इंटरलॉकिंग के दौरान एक भी यात्री ट्रेन को कैंसिल नहीं किया जा रहा है और न ही रिशेड्यूल किया गया है। इस काम के दौरान ट्रेन न तो आधे रास्ते में रूकेगी और न डायवर्टेड रूट पर चलेगी।
दरअसल, बिलासपुर-चांपा रेल मार्ग दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे का एक महत्वपूर्ण और व्यस्ततम रेल मार्ग है, जो इस पूरे क्षेत्र को उत्तर भारत से जोड़ता है। इस रूट पर ट्रेनों के परिचालन को और भी सुचारू बनाने और नई ट्रेनों की संभावनाओं को देखते हुए यहां नई और चौथी लाइन का निर्माण कार्य चल रहा है। रेलवे का दावा है कि इससे आधारभूत संरचना में विकास के साथ नई यात्री सुविधाओं में वृद्धि होगी और यात्री ट्रेनें भी प्रभावित नहीं होगी।
इसी दिशा में सक्रियता से काम करते हुए बिलासपुर-चांपा रूट में चौथी लाइन का काम किया जा रहा है। इसके अंतर्गत इस सेक्शन के गतौरा रेलवे स्टेशन को चौथी लाइन से जोड़ने के लिए नॉन इंटरलॉकिंग का काम होगा। मालूम हो कि बिलासपुर-चांपा रेलमार्ग की लंबाई 53 किलोमीटर है, जिसके विभिन्न स्टेशनों को चौथी लाइन से पहले ही जोड़ा जा चुका है। इस कार्य को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जा रहा है।
ट्रेनों के परिचालन प्रभावित किए बिना होगा काम
इस कार्य को तीव्र गति से पूरा करने के लिए मंडल के गतौरा स्टेशन में चौथी लाइन कनेक्टिविटी का काम होगा। इसके अंतर्गत नान-इंटरलाकिंग का काम 23 से 27 जनवरी तक किया जाएगा। रेलवे के इंजीनियर्स, संरक्षा और तकनीकी टीम अभिनव तरीके से इस काम को पूरा करेंगे। इसकी खासियत यह है कि इस काम के दौरान किसी भी यात्री ट्रेन को कैंसिल, रेगुलेशन, रिशिड्यूलिंग, शॉर्ट टर्मिनेटिंग, डाइवर्जिंग नहीं किया जा रहा है। नान-इंटरलाकिंग के काम को पांच दिनों में पूरा किया जाएगा।
उत्तर और मध्य भारत को जोड़ती है यह लाइन
बिलासपुर-चांपा चौथी लाइन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की एक बहुत महत्वपूर्ण लाइन है, जो मध्य भारत के इस क्षेत्र को उत्तर भारत से जोड़ने के लिए सेतु का कार्य करती है। कोरबा से बिलासपुर और उससे भी आगे इस पूरे क्षेत्र की मध्य भारत और दिल्ली, कोलकत्ता, भोपाल, जबलपुर, कोटा, इलाहाबाद जैसे महत्वपूर्ण नगरों से जुड़ाव इसी लाइन से होता है। चौथी लाइन का कार्य पूरा होते ही भविष्य में गाड़ियों के परिचालन में गतिशीलता आने के साथ ही इस क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के नए आयाम प्रशस्त होंगे।
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