राष्ट्रीय युवा पुरुष्कार से सम्मानित हुई बिलासपुर की बेटी अंकिता पाण्डेय शुक्ला

विनीत चौहान/ बिलासपुर,17 जनवरी। श्रीमती अंकिता पाण्डेय शुक्ला को सामुदायिक सेवा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यो के लिए भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय के सर्वोच्च पुरस्कार राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से हुबली कर्नाटक में आयोजित राष्ट्रीय युवा महोत्सव 2023 में माननीय राज्यपाल थावर चंद्र गहलोत अनुराग ठाकुर (खेल-युवा मामले के मंत्री भारत सरकार) , प्रहलाद जोशी (संसदीय कार्य मंत्री भारत सरकार) एवं बसव राज बोमई (मुख्य मंत्री कर्नाटक) से सम्मान प्राप्त कर बिलासपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया है।

राष्ट्रीय युवा सम्मान से सम्मानित होने वाली छत्तीसगढ़ की पहली महिला बनी

आपको बताते चले की अंकिता पहली महिला हैं जिन्हे युवा पुरुस्कार से नवाजा गया है, उनका कहना है कि उनका सौभाग्य था की उनको देश का सबसे बड़ा युवा सम्मान प्राप्त हुआ, जो मेरे और समाज के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि हैं, इसे और भी कार्यकर्ता प्रोत्साहित होंगे एवं समाज को प्रगति की ओर अग्रसर होंगे

महिला व युवा सशक्तिकरण की जबरदस्त उदाहरण बनी अंकिता

इनकी सोच और प्रयासों ने समाज को नई दिशा और जागरूक करने का काम किया है। अंकिता युवा समाजसेवी है और अंकिता ने यौन अपराध व नशे के गिरफ्त में जाते बच्चों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। अंकिता स्लम बस्तियों, झुग्गी झोपड़ियों और स्कूलों में जाकर आसान तरीके से बच्चों को जागरूक करती हैं। नशे व माहवारी को लेकर भी अंकिता अवेयरनेस कैंपेन चलाती हैं। अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के बलबूते वे और उनकी टीम सैकड़ों मासूम बच्चों की जिन्दगी व उनके बचपन को बचाने का काम कर रही है। ये शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण और दूरस्थ अंचल में जाकर उन गरीब बच्चों को गुड टच और बैड टच के सम्बन्ध में जागरूक कर रहे हैं जो कि शायद इसके बारे में भी नहीं जानते और इसके शिकार हो जाते हैं। ऐसे मासूम बच्चों के पास जाकर अंकिता और इनकी टीम बाल और यौन अपराधों से बचने व इसे पहचानने की शिक्षा दे रहीं हैं।


कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही अंकिता समाज के लिए कुछ अलग करने के लिए प्रेरित हुई। अंकिता ने इसके लिए यौन अपराध व नशे के खिलाफ जागरूकता को चुना। अंकिता ने देखा कि जागरूकता के अभाव में बच्चे यौन अपराध के शिकार हो रहे हैं और इसका सबसे ज्यादा असर स्लम बस्तियों और झुग्गी झोपडी में रहने वाले बच्चों पर पड़ रहा है। अंकिता ने इसके लिए जागरुकता मुहिम की शुरूवात की। इस कैंपेन के तहत अंकिता झुग्गी झोपड़ी, स्लम बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों व स्कूलों में जाकर वहां के बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में जागरूक करती है। इसके लिए वह ऐसे तरीके अपनाती हैं जो बच्चों को आसानी से समझ में आ जाए। इसके साथ ही लैंगिक उत्पीड़न, नशा मुक्ति समेत चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 के बारे में भी वे जागरूक कर रही हैं। लड़कियों को होने वाली शारीरिक दिक्कतों को लेकर भी लगातार उनका अभियान चल रहा है। भिक्षावृत्ति में सम्मिलित बच्चों को अंकिता द्वारा उचित सलाह परामर्श देकर चाइल्डलाइन को भी सुपुर्द किया जा रहा हैअंकिता का मानना है बचपन से बच्चों को यौन अपराध और नशे को लेकर जागरूक करना जरूरी है ताकि वे अपने साथ होने वाले यौन अपराध व नशे से होने वाले नुकसान को लेकर जागरूक हो सकें। बहरहाल, अंकिता की यही सोच उन्हें समाज में खास बनाती है। वे आज समाज में महिलाओं के बीच मिसाल हैें।

ग्रामीण क्षेत्र को प्राथमिकता-


अंकिता बताती हैं कि, शहर में तरह-तरह की सुविधाएं इत्यादि के अलावा आधुनिक शिक्षा के चलते शहर में रहने वाले बच्चे काफी हद तक यौन अपराधों के प्रति जागरूक रहते हैं, इसके अलावा कई सामाजिक संगठन भी इस ओर काम कर रहे हैं।लेकिन, ग्रामीण अंचल के बच्चे कई तरह की सुविधाओं से वंचित रहते हैं। जिसके चलते उन्हें इस तरह के अपराधों के बारे में पूरी तरह जानकारी नहीं होती है, इस वजह से वे और उनकी टीम ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों पर विशेष ध्यान देते हैं।

गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने में भी जुटीं-


अंकिता पाण्डेय शुक्ला और उनकी मार्मिक चेतना की टीम केवल बाल अपराध रोकने तक सीमित नहीं है, बल्कि ये लोग गरीब, असहाय और विकलागों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का भी काम कर रहे हैं। इसके अलावा गरीबों के भोजन, कपड़े की व्यवस्था का जिम्मा भी पूरी टीम ने उठा रखा है।

फील्ड वर्क से मिली प्रेरणा-


अंकिता की माने तो जब वे एमएसडब्ल्यू की पढ़ाई कर रहीं थीं, तब उन्हें फील्ड वर्क के लिए कोनी क्षेत्र के रमतला गाँव में ले जाया गया था. वहां करीब 200 बच्चे को नशामुक्ति के लिए जागरूक किया गया। जिसके बाद उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि नशामुक्ति के अलावा बच्चों को यौन शोषण जैसे अपराधों के प्रति भी जागरूक करने की भी जरूरत है।

युवा वर्ग ले रहा है इनसे प्रेरणा-


अंकिता बताती हैं कि, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जरूरतमंदों की सहायता करो, बच्चों को पोषण आहार दो, कपड़े दो, जैसे कार्य तो अक्सर ही लोग करते रहते हैं। लेकिन, समाज में बढ़ रहे बाल अपराध और यौन शोषण के खिलाफ बहुत कम लोग ही हैं जो कार्य कर रहे हैं। कई बार ऐसा होता है कि, कुछ मासूम बच्चे ऐसे होते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि उनका यौन शोषण हो रहा है। जागरूकता के अभाव में बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं। आज के समय में सिर्फ लड़की ही नहीं, बल्कि मासूम लड़के भी इसका शिकार हो रहे हैं। अंकिता व उनकी अपनी टीम मिलकर मार्मिक चेतना नाम से एक संस्था भी चला रहे हैं जो शहर के अलावा दूर ग्रामीण अंचलों के बच्चों को बाल अपराध की शिक्षा दे रहे हैं। कुछ ही समय के भीतर सैकड़ों स्कूलों, आंगनबड़ियों में जाकर सैकड़ों मासूम बच्चों को बाल और यौन अपराधों से बचने के लिए जागरूक कर उनके बचपन को बचाने व संवारने का काम अंकिता व उनकी टीम कर रही है। साथ ही डी. एल. एस. महाविद्यालय मे समाज कार्य विभाग की सहायक प्राध्यापक भी हैं, बच्चों को समाज कार्य के लिए प्रेरित कर रही हैं।

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड मे भी नाम शामिल

पिछले वर्ष इन्होंने लगातार 50 स्कूलों में जाकर एवं 5000 से ज्यादा लोगों में संवेदनशील विषयों पर जागरुकता अभियान किया, समाज जन जागरुकता फैलाने और अपराध से बचाने हेतु इनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड मे शामिल किया गया।

राज्यपाल द्वारा दो बार नारी रत्न से भी हुई है सम्मानित

अंकिता को कोरोना काल के दौरान सहयोगी रूप मे कार्य करने पर कई पुरुस्कार प्राप्त हैं इसी क्रम मे अंतररास्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सुश्री अनुसुइया उवीके द्वारा नारी रत्न प्रदान किया गया है।

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