जगदलपुर ,16 जनवरी । बस्तर जिला वन संपदा से समृद्ध है। यहां कई प्रजाति के पशु-पक्षी निवास करते हैं। वहीं पशु-पक्षियों की कई दुर्लभ प्रजातियां यहां पाई गई हैं। हाल ही में जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में दुर्लभ प्रजाति का चमगादड़ मिला है। इसका रंग नारंगी है और पंखों पर नारंगी-काले रंग के धब्बे हैं। यह चमगादड़ एक केले के पेड़ के नीचे घोसला बनाकर रह रहा था। खास बात यह है कि देश में अब तक तीन बार ही चमगादड़ की यह प्रजाति मिली है। इसके मुंह में 38 दांत हैं और इसे इसकी खूबसूरती के चलते इसे बटरफ्लाई चमगादड़ के तौर पर भी जाना जाता है।
बस्तर की कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान कई दुर्लभ जीव-जंतु मिलने के लिए प्रसिद्ध है। अब अपनी तरह के इस अनोखे चमगादड़ के मिलने को वन विभाग बड़ी उपलब्धि मान रहा है। ऐसा लगता है कि किसी ने बेहद ही खूबसूरती के साथ इसे पेंट किया है। फिलहाल यह अनोखा जीव आकर्षण के केंद्र में है। इसे विलुप्तप्राय श्रेणी में रखा गया है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में करीब 200 प्रजातियों के पक्षियों के पाए जाने के प्रमाण मिले हैं।
इसका वैज्ञानिक नाम “केरीवोला पिक्टा” है, बताया जाता है कि यह ज्यादातर सूखे इलाकों या ट्रीहाउस में पाए जाते हैं। इनका वजन मात्र 5 ग्राम होता है, 38 दांत वाला यह चमगादड़ सिर्फ कीड़े मकोड़े खाता है, चमगादड़ो की यह प्रजाति भारत और चीन समेत कुछ एशियाई राज्य में पाई जाती है।
नेशनल पार्क के संचालक और डीएफओ गणवीर धम्मशील ने बताया कि पार्क में दिखने वाली दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों इसके अलावा वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन के लिए लगातार विभाग प्रयास करता आया है। चमगादड़ की ‘केरिवोला पिक्टा’ यह प्रजाति नेशनल पार्क में दिखना पूरे प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। निश्चित तौर पर इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं।
डीएफओ धम्मशील ने बताया कि, पक्षियों पर शोध कर रहे हैं वैज्ञानिको के सहयोग से पता लगाया जा रहा है कि इन चमगादड़ो को किस तरह का वातावरण पसंद है और यह खाते क्या है और इनके संख्या में बढ़ोतरी हो और प्रजनन के लिए इन्हें किस तरह का माहौल और वातावरण उपलब्ध हो इसकी भी जानकारी ली जा रही है। ताकि दुर्लभ और अनोखी प्रजाति की यह चमगादड़ इस नेशनल पार्क की शान बने रहें।
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