रतलाम ,03 जनवरी । मध्यप्रदेश के रतलाम में दुष्कर्म के झूठे केस में 666 दिन जेल काटने के बाद बरी होकर लौटे युवक ने शासन व प्रशासन के खिलाफ क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार करोड़ से अधिक का दावा ठोक दिया है। युवक ने दोषमुक्त होने के बाद जिला एवं सत्र न्यायालय में मध्य प्रदेश शासन औरे जांच अधिकारी के खिलाफ दस हजार छह करोड़ दो लाख रुपये की क्षतिपूर्ति का दावा पेश किया है। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई अगली तारीख 10 जनवरी तय की है।
दरअसल, मामला यह है कि एक महिला ने युवक पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। महिला का आरोप था कि वह 18 जनवरी 2018 को अपने घर थी। तभी दोपहर 12 बजे आरोपित कांतू पुत्र नरसिंह अमलीयार निवासी ग्राम घोड़ाखेड़ा आया। इस दौरान उसने महिला से कहा कि उसके साथ चल, वह उसे उसके भाई के घर छोड़ देगा। महिला का आरोप है कि वह कांतू के साथ बाइक पर बैठ कर चल पड़ी, लेकिन आरोपी भाई के यहां ले जाने के बजाए जंगल ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया।
इसके बाद महिला ने बाजना थाना में युवक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि आरोपी के घटना को अंजाम दिए जाने के बाद अन्य आरोपित भेरू उर्फ भेरूसिंह उसे अपने साथ इंदौर ले गया और छह माह तक रखकर उससे दुष्कर्म करता रहा। जिसके बाद आरोपी उसे बाजना छोड़ आया। इसके बाद उसने अपने पति को आपबीती बताई।
वहीं, पुलिस ने महिला की शिकायत के आधार पर आरोपित कांतू और भेरू के खिलाफ धारा 376D, 346 और 120 के तहत मामला दर्ज किया। इसके बाद पुलिस ने कांतू को 23 दिसंबर 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। हालांकि, 20 अक्टूबर 2022 को न्यायालय ने आरोप प्रमाणित नहीं होने पर दोनों को दोषमुक्त कर दिया। जिसके बाद युवक ने जय कुलदेवी फाउंडेशन के प्रतिनिधि अभिभाषक विजय यादव से मुलाकात की और उसने शासन व अधिकारियों के खिलाफ क्षतिपूर्ति का दावा पेश किया।
युवक कांतू ने बताया कि वह बेकसूर होकर भी करीब दो साल तक जेल में रहा। युवक ने कहा कि उसे झूठे केस में फंसाया गया। तीन साल तक वह फरार रहा और करीब दो साल तक जेल में रहा। वहीं, अभिभाषक विजय यादव ने बताया कि कांतू के जेल में रहने के कारण उसका परिवार भी काफी परेशान रहा। यहीं नहीं कांतू के लंबे समय तक जेल में रहने से उसका परिवार भुखमरी की स्थिति में पहुंच गया। इसलिए उसने क्षतिपूर्ति का दावा पेश किया है।
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