अंबिकापुर, 03 जनवरी । 44 वर्ष पहले अविभाजित सरगुजा जिले के कुसमी वन परिक्षेत्र के सिविलदाग में पकड़े गए हाथी की मंगलवार सुबह हाथी पुनर्वास केंद्र रामकोला में मौत हो गई। इसकी उम्र लगभग 72 वर्ष की थी। कुसमी के सिविलदाग ग्राम में पकड़े जाने के कारण इसका नामकरण सिविल बहादुर रखा गया था। अत्यधिक आयु से उतपन्न हुई स्वास्थ्यगत परेशानियों के कारण इसकी मौत हो गई। अंबिकापुर से वन विभाग के उच्चाधिकारी हाथी रेस्क्यू सेंटर के लिए रवाना हो गए है।
उत्तर छत्तीसगढ़ में प्रवासी हाथियों के झारखंड से प्रवेश करने से पहले वर्ष 1988 में सबसे पहले एक हाथी कुसमी वन परिक्षेत्र में घुसा था। उस दौर में वन विभाग के साथ हाथी रेस्क्यू अभियान में लगे अमलेंदु मिश्रा ने बताया कि जंगली हाथियों के व्यवहार के अध्ययन में यह पुष्ट हो चुका है कि किसी भी नए क्षेत्र में जंगली हाथियों के समूह के प्रवेश करने से पहले दल का नेतृत्व करने वाले एक हाथी ही उस क्षेत्र में जाकर भौगोलिक परिस्थिति,आहार आदि के लिए क्षेत्र का भ्रमण करता है। रहवास के अनुकूल माहौल होने पर शेष हाथी बाद में आते है।
वर्ष 1988 में यह हाथी भी पहले कुसमी क्षेत्र में घुसा था। कई दिनों तक क्षेत्र में यह रूक गया था। शेष हाथी भी आ गए थे। तब इसे रस्सा से फंसाकर पकड़ लिया गया था। तब से यह वन विभाग की देखरेख में भी यह रह रहा था। आज इसकी आयु 72 वर्ष की हो गई थी। 72 साल का सिविल बहादुर अब नहीं है। मंगलवार सुबह उसने अंतिम सांस ली। सिविल बहादुर को सबसे उम्रदराज हाथी माना जा रहा है जो पांच वर्षो से तमोर पिंगला अभ्यारण्य के रेस्क्यू सेंटर में रह रहा था।
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सिविल बहादुर पूर्व में तमोर पिंगला के हाथी कैम्प में रहता था जिसके बाद उसे अचानकमार ले जाया गया था। वर्ष 2017 में उसे फिर से तमोर पिंगला के रेस्क्यू सेंटर में लाकर रखा गया था जहां वह वन अमला और महावतों की निगरानी में था। उसकी उम्र करीब 72 साल की हो गई थी और आज सुबह छह बजे करीब उसने दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि बढ़ती उम्र के साथ उसके शरीर में कुछ दिक्कतें शुरू हो गईं थीं और दो दिन से पेशाब और शौच भी ठीक से नहीं कर पा रहा था ।
स्थानीय चिकित्सक उसका इलाज कर रहे थे और विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह भी ले रहे थे लेकिन इस बीच आज सुबह उसकी मौत हो गई जिसके बाद रेस्क्यू सेंटर परिवार सन्नाटा पसर गया और गमगीन स्थिति बन गई क्योंकि वह सबसे पुराना साथी था तथा कर्मचारी ज्यादा समय उसी के साथ व्यतीत करते थे। बरहाल विभाग उसके पोस्टमार्टम की तैयारी कर रहा है ताकि मौत का कारण और स्पष्ट हो सके। बताया जा रहा है कि विभाग सम्मान के साथ उसका अंतिम संस्कार करेगा। रेस्क्यू सेंटर में पदस्थ डा अजीत पांडेय ने बताया कि सिविल बहादुर की मौत का कारण उसकी उम्र है जो करीब 72 साल थी।
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बढ़ती उम्र के साथ कुछ दिक्कतें शुरू हो जाती हैं जो सिविल बहादुर के साथ भी हो गईं थी । विशेषज्ञों से सलाह लेकर उसका इलाज कर रहे थे लेकिन अंततः वह हमारे बीच नहीं रहा। उन्होंने कहा कि बाकी और क्या कारण हो सकते हैं, पोस्टमार्टम स्पष्ट हो पायेगा। उन्होंने बताया कि हाथी की अमूमन उम्र 50 से 70 साल की ही मानी जाती है और सबसे उम्र दराज हाथी 82 साल का अगोला में मारा गया था।
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