कांकेर, 20 दिसम्बर । जिले के आदिवासी बहुल कोयलीबेड़ा इलाके के चारगांव में निर्माणाधीन आदिवासी बालिका छात्रावास का भवन अधूरा है। ग्रामीणों के मुताबिक पिछले 6 साल से यहां निर्माण कार्य बंद है। जबकि चारगांव माइंस और जिला प्रशासन के पास पर्याप्त पैसा होने के बावजूद भी आदिवासी छात्राओं की पढ़ाई लिखाई और रहने के लिए सर्वसुविधायुक्त भवन नहीं है। आदिवासी छात्र युवा संगठन ने अपनी पड़ताल में बताया कि बीते छ: साल से आदिवासी छात्राओं के लिए नया भवन निर्माण किया जा रहा है। यह निर्माण कार्य 6 साल से ठप्प हो गया है।
आदिवासी विकास विभाग और जिला प्रशासन के अलावा स्थानीय विधायक अनूप नाग को भी यहां की सुध लेने की फुर्सत नहीं है। माओवाद प्रभावित इलाके में सरकारी विकास के दावे कागजों पर दम तोड़ रहें हैं। गांववालों का यह भी कहना है कि चारगांव में एक आदिवासी बालिका छात्रावास है जहां पीने के पानी की समस्या से छात्राओं को जूझना पड़ रहा है। 50 सीट वाले इस छात्रावास में 21 बेड उपलब्ध है जिसमें 33 छात्राओं को सोना पड़ता है। इस तरह से इन लड़कियों के सोने के लिए बेड कम पड़ गया है। एक ही बेड पर दो छात्राओं को सोकर रात बिताना पड़ रहा है। उन्होंने बोर खनन की मांग की है, क्योंकि हैंडपंप गर्मी के दिनों में खराब ही रहता है। छात्रोओ के लिए क्रीडांगन में क्रीडा सामग्री नहीं है तथा रात को बिजली नहीं रहती है जिससे आदिवासी छात्राओ को पढ़ाई लिखाई करने अंधेरे में काफी दिक्कतॊ का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में आदिवासी लड़कियों की पढ़ाई लिखाई और उनके जीवन स्तर का अंदाजा लगा पाना आसान है। नागरिक जीवन की सुविधाओं के बगैर ये बच्चे अपना भविष्य गढ़ने मेहनत कर रहें हैं। जरूरत इस बात की है कि आदिवासियों की बेहतरी के लिए काम करने का दावा करने वाला आदिवासी विकास विभाग और स्थानीय प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधि भी अपनी जिम्मेदारी निभाये और छात्रावासों की हालत देखें।
हॉस्टल में व्यवस्था दुरुस्त करने आदिवासी छात्र युवा संगठन कर रहा प्रयास
स्थानीय आदिवासी छात्र छात्राओं ने एक संगठन बनाया है। इसका नाम है आदिवासी छात्र युवा संगठन बनाया है। इसके अध्यक्ष राजेश नुरूटी, भुवनेश्वरी नवगो, पिंकी कमेटी, सनोति मंडावी, सोमा नुरूटी, निखिलेश नाग, लक्षमण मंडावी, महेश दर्रो, सुमित्रा नवगो ,अजय कुमेटी, महीमा जमुनासागर ने दौरा कर छात्राओं से बातचीत की।
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