चार साल में जनजातीय विकास हुआ अवरुद्ध : विकास मरकाम

रायपुर,16 दिसम्बर । अनुसूचित जनजाति मोर्चा, प्रदेश अध्यक्ष, विकास मरकाम ने भूपेश सरकार के 4 वर्ष के कार्यकाल को आदिवासियों के बदहाली और बर्बादी का कार्यकाल बताते हुए जमकर हमला किया। उन्होंने  ने कहा कि प्रदेश  सरकार का कार्यकाल का एक-एक दिन जनजातीय समाज के लिए किसी बुरे स्वप्न के लिए कम नही है। आरक्षण से लेकर शिक्षा तक, पेयजल से लेकर सड़क और आवास तक प्रदेश आदिवासियों के साथ सौतेला और दोयम दर्जे का व्यवहार कर कांग्रेस ने समस्त जनजाति समाज का विकास बाधित कर दिया है।

आदिवासियों के अधिकार और भविष्य पर चोट

उन्होंने  प्रमाण देते हुए कहा 2005 से आदिवासियों को पदोन्नति में आरक्षण मिल रहा था सरकार ने आदिवासियों से छीन लिया। इससे जनजातीय समाज के लोग उच्च पदों पर कम से कम जाएंगे। नीति निर्माण में आदिवासियों की कम से कम हिस्सेदारी होगी इससे आदिवासियों का विकास बुरी अवरुद्ध होगा। स्थानीय भर्ती का अधिकार, जनजातीय युवाओं की नियुक्तियों और आरक्षण को लेकर अभी भी पूरे समाज को अनिश्चितता में डालकर रखा गया है।

जल जंगल और जमीन के दुश्मन

उन्होंने कहा कि कांग्रेस  राज में वनवासियों को अपने जल जंगल जमीन पर निर्णय लेने का हक प्रदान करने वाली संसद के  पेसा कानून 1996 के मूल अधिकारों में भी बदलाव किया गया। अन्य राज्य में जहां पेसा कानून के तरह जल, जंगल और जमीन पर अतिक्रमण के पूर्व ग्रामसभा से अनिवार्य सहमति की आवश्यकता पड़ती है वही छत्तीसगढ़ में यह अनिवार्यता छीन ली गई है। धड़ल्ले से पेड़ काटे जा रहे है। हसदेव अरण्य हो या बस्तर के साल वन कांग्रेस जंगल का नक्शा बिगाड़ने में तुली है। 

मंत्री के इस्तीफा के बाद भी नही बने घर

 विकास मरकाम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर गरीब आदिवासी के सिर पर पक्का छत हो इसलिए प्रधानमंत्री आवास योजना जारी किया लेकिन राज्यांश जारी करने में भूपेश बघेल की सरकार कोताही बरत रही है। कुछ महीने पहले ही पंचायत मंत्री ने 18 लाख हितग्राहियों के आवास लंबित करने की नीति से खिन्न होकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया उसके बाद भी आप नींद से नही जागे। हर बात के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराने की नीति का अनुसरण करने वाली  सरकार के राज में आदिवासियों का जीवन 4 साल से एक बुरे स्वप्न के समान बीत रहा है।