रायपुर : छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के सीमावर्ती वन अधिकारियों की संयुक्त बैठक

सीमावर्ती क्षेत्रों में विचरण कर रहे वन्यप्राणियों की निगरानी, शिकार की रोकथाम, सुरक्षा, मानव-वन्यप्राणी द्वंद, वन अपराध नियंत्रण पर हुई विस्तृत चर्चा

रायपुर, 10 दिसंबर | ‘‘मानव-वन्यजीव द्वंद एवं वन्यप्राणी अपराध नियंत्रण विषय पर‘‘ छत्तीसगढ एवं मध्यप्रदेश के सीमावर्ती वन अधिकारियों की संयुक्त बैठक 09 दिसंबर भोरमदेव अभ्यारण्य चिल्फी परिक्षेत्र के अंतर्गत लोक निर्माण विभाग के विश्राम भवन चिल्फी में आयोजित की गई। बैठक में अधिकारियों द्वारा छत्तीसगढ एवं मध्यप्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में विचरण कर रहे हाथी, शेर और अन्य वन्यप्राणियों की निगरानी, सुरक्षा, मानव-वन्यप्राणी द्वंद, वन्यप्राणी शिकार की रोकथाम, वन अपराध पर नियंत्रण आदि बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा की गयी।   

     वनमण्डलाधिकारी कवर्धा चूड़ामणि सिंह ने सर्वप्रथम उपेन्द्र दुबे, डब्लूडब्लूएफ इंडिया के द्वारा पावर प्वाईंट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से अचानकमार टायगर रिजर्व, फेन अभ्यारण्य, कान्हा टायगर रिजर्व मध्यप्रदेश और भोरमदेव अभ्यारण्य के कोरीडोर में विचरण कर रहे शेर-हाथियों की गतिविधियों पर जानकारी दी। मुख्य वन संरक्षक बी.पी.सिंह द्वारा वन्यप्राणी टकराव एवं प्राकृतिक रहवास के संबंध में जानकारी दी। 

     संचालक कान्हा टायगर रिजर्व क्षेत्र मध्य प्रदेश एस.के.सिंह द्वारा कान्हा टायगर रिजर्व, फेन वन्यप्राणी अभ्यारण्य, भोरमदेव अभ्यारण्य अचानकमार टायगर रिजर्व, खैरागढ़, राजनांदगांव, कवर्धा एवं डिंडौरी वनमंडल के लगभग 250 सीमावर्ती ग्रामों में वन्यप्राणियों अपराध पर नियंत्रण पर चर्चा और सुझाव दिए। वन्यप्राणियों से आमजनों को क्षति न हो इस संबंध में वन्यप्राणियों की सतत् निगरानी, सुरक्षा के उपायों एवं आमजनो को जागरूक करने प्रचार-प्रसार आदि पर चर्चा की गई। 
    गौरतलब है कि गौरेला-पेण्ड्रा मरवाही से अचानकमार टायगर रिजर्व-पंडरिया-तरेगांव-फेन अभ्यारण्य की तरफ होते हुए कान्हा टायगर रिजर्व से वापस उसी रूट पर विचरण करते रहते हैं, जिससे आस-पास के गांव में जनहानि-पशुहानि की संभावना बनी रहती है। हाथी-मानव द्वंद को नियंत्रित एवं कम करने के संबंध में जागरूकता के विषय पर तथा छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के अधिकारियों के बीच समय पर सूचनाओं के आदान-प्रदान करने पर चर्चा की गई। बैठक में अधिकारियों द्वारा हाथियों के विचरण के समय स्थानीय नागरिकों को बचने के उपाय, जागरूकता, क्षेत्रीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण, वन्यप्राणियों की शिकारियों से सुरक्षा, शिकारियों की पहचान कर आवश्यक कार्यवाही करने, संयुक्त क्षेत्रीय भ्रमण की रूपरेखा तैयार कर भ्रमण करने, वनवासियों में अंधविश्वास को दूर करने हेतु जागरूकता कराने, पारिस्थिकीय पर्यटन को प्रारंभ करने, घास एवं जंगल मैदान की पहचान कर गणना करना आदि पर विस्तृत चर्चा हुई।

     बैठक में प्रमुख रूप से मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी एवं क्षेत्र संचालक उदन्ती-सीतानदी टायगर रिजर्व छत्तीसगढ़ रायपुर श्रीमती प्रणीता पाल, बी.पी.सिंह मुख्य वन संरक्षक, दुर्ग वृत्त दुर्ग, एस.के.सिंह क्षेत्र संचालक कान्हा टायगर रिजर्व मध्य प्रदेश, वनमण्डलाधिकारी पूर्व मण्डला पूनित गोयल, वनमण्डलाधिकारी उत्तर बालाघाट अभिवन, वनमण्डलाधिकारी डिंडोरी साहिल गर्ग, वनमण्डलाधिकारी कवर्धा चूड़ामणि सिंह, वनमण्डलाधिकारी राजनांदगांव श्रीमती सलमा फारूकी, वनमण्डलाधिकारी बालोद आयुष जैन, वनमण्डलाधिकारी खैरागढ़ श्रीमती पुष्पलता, डब्लूडब्लूएफ इंडिया सोमन डे, डब्लूडब्लूएफ इंडिया उपेन्द्र दुबे, उप निदेशक कान्हा टायगर रिजर्व महेन्द्र, उप निदेशक फेन अभ्यारण्य मुकेश कुमार, राज्य वन्यप्राणी बोर्ड छत्तीसगढ़ सुश्री नेहा सेमूल, अधीक्षक भो.अ.कवर्धा एम.एस.डोंगरे, उप वनमंडलाधिकारी पंडरिया जसवीर सिंह मरावी, उपवनमंडलाधिकारी सहसपुर-लोहारा अनिल साहू, उपवनमंडलाधिकारी लोरमी परिक्षेत्र अधिकारी भो.अ.कवर्धा चिल्फी एवं कवर्धा महेन्द्र कुमार तथा समस्त परिक्षेत्र सहायक भोरमदेव अभ्यारण्य कवर्धा एवं चिल्फी उपस्थित थे।

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