CG NEWS : सारंगढ़,10 दिसम्बर । कोसीर मुख्यालय के ग्राम मुड़वाभांठा में शा. उ. मा. विद्यालय स्कूल कोसीर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की शिविर विगत दिवस 5 दिसम्बर से 11 दिसम्बर तक आयोजन रखा गया है। शिविर के 05 वें दिन बौद्धिक परिचर्चा के अतिथियों में शा. उ. मा. विद्यालय स्कूल के वरिष्ठ व्याख्याता विजय महिलाने एवं सारंगढ़ अंचल के वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार लक्ष्मी नारायण लहरे परिचर्चा में शामिल हुए। सर्वप्रथम लक्ष्मी नारायण लहरे जी दुवारा छत्तीसगढ़ महतारी, बाबा साहब अम्बेडकर जी, महात्मा गांधी जी, युवाओं प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद नन्द जी की तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर प्रणाम किया गया। राष्ट्रीय सेवा योजना के दल प्रमुख दुवारा अतिथि लक्ष्मी नारायण लहरे, विजय महिलाने का पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया। वही राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों के दुवारा गीत ,भाषण, कविता, प्रस्तुत किया गया।
राष्ट्रीय कार्यक्रम योजना अधिकारी विशेषर खरे ने कार्यक्रम को आगे बढ़ते हुए सर्वप्रथम बौद्धिक परिचर्चा के लिए साहित्यकार लक्ष्मी नारायण लहरे को आमंत्रित करते हुए 05 दिन की विषय युवाओं में ब्यक्तित्व विकास ,शौचालय ,स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पर अपनी बात रखने के लिए सम्बोधन के लिए आमंत्रित किया गया। सारंगढ़ अंचल के वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार लक्ष्मी नारायण लहरे ने मंच से उद्बोधन करते हुए अपनी अनुभव और विषय पर बात रखते हुए बोले संघर्ष ही जीवन का मूलमंत्र है। हमें अपने अतित को भूलना नहीं चाहिए उससे सिख मिलती है। समाज में गुरु ,परिवार में पिता और जीवन में मित्र अमृत समान होते हैं ऐसे कहते हुए युवाओं के ब्यक्तिव विकास पर प्रकाश डाले और उन्हीने कहा जीवन में गुरु ,पिता और मित्र ही ऐसे है जो हमारे जीवन और ब्यक्तिव पर प्रभाव डालते है और हमें अपने संघर्ष के मार्ग को प्रसस्त कर आगे बढ़ने का सिख देते है।
वही आगे स्वास्थ्य पर अपने बात रखते हुए बोले कि जिंदगी सबकी कीमती है चाहे वह गरीब हो अमीर फर्क नहीं पड़ता सही समय में जिस तरह अमीर को फायदा होता है वैसे गरीब को भी मिलनी चाहिए दुनिया में मुक्त में भी ईलाज़ हो सकता है पर जिस दवाई का इजात हुआ था लोगों की भलाई के लिए पर वही आज सबसे बड़ा धंधा हो गया । बौद्धिक परिचर्चा में और कई उदाहरण रखते हुए अपने बात रखते हुए विद्यार्थियो का मार्ग दर्शन किये। वही शा उ मा विद्यालय कोसीर स्कूल के ब्यख्याता विजय महिलाने ने मंच को सम्बोधन के बाद अपनी अनुभवों को रखते हुए युवाओं में ब्यक्तिव विकास पर बारीकी से बात रखते हुए बोले कि ब्यक्ति का पहचान उसके आव -भाव क्रिया कलाप आदि से अनुभव हो जाता है कि उसका ब्यक्तिव कैसा है। ब्यक्तिव विकास में उसकी यद्देश्य में कुछ करने की लालसा हो और तब वह अपने अंदर सक्षम हो तभी वह अपने आप को उस लायक बना सकता है । वही आगे उन्होंने कहा कि जीवन में अभिनय के लिए अलग -अलग मुख़ौटे हैं जैसे राम का नाम लेते ही मर्यादा परुषोतम दिमाक में आ जाता है वैसे ही रावण कहने पर उसके व्यक्तिव का पता चल जाता है इस तरह बहुत अच्छे से अपने बात को रखे और गीत के माध्यम से स्वयं सेवकों का मनोरंजन करते हुए सिख दिए।
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