धमतरी,6 दिसंबर। इस बार रबी के सीजन में रविशंकर सागर जलाशय गंगरेल से पानी नहीं दिया जायेगा। केंद्रीय जल आयोग/बांध सुरक्षा विशेषज्ञ, नई दिल्ली के निर्देशानुसार गंगरेल बांध के गैलरी में सीपेज नियंत्रण कार्य और बांध के नीचे बकेट फ्लोर, टीथ ग्लासिस में एपॉक्सी ट्रीटमेंट कार्य, स्पील चैनल की खुदाई आदि से जुड़े काम कराए जाने हैं। गंगरेल जलाशय की सुरक्षा को ध्यान में रख सोमवार को ज़िला जल उपयोगिता समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि गंगरेल जलाशय से रबी में सिंचाई के लिए पानी नहीं दिया जाए। हालांकि मौके पर मौजूद सिहावा विधायक डॉ. लक्ष्मी ध्रुव और धमतरी विधायक रंजना साहू ने प्रस्तावित किया कि यदि किसानों ने मांग की तो इस जलाशय से पानी दिया जाए।
कलेक्टर पी.एस. एल्मा की अध्यक्षता में सोमवार दोपहर तीन बजे से कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आहूत बैठक में इस प्रस्ताव को शासन तक पहुंचाने की बात कही गई। ज्ञात हो कि महानदी जलाशय परियोजना के तहत गंगरेल, मुरुमसिल्ली और दुधावा जलाशय में कुल 40.69 टीएमसी 94.99 प्रतिशत है। इसमें रविशंकर सागर जलाशय गंगरेल में 26.27 टीएमसी, मुरुमसिली में पांच टीएमसी, दुधावा में 9.3 टीएमसी पानी है। विभिन्न प्रयोजनों के लिए प्रावधानिक मात्रा में जल आरक्षण की जानकारी देते हुए कार्यपालन अभियंता, जल प्रबंध संभाग रूद्री, कोड 38 एके पालड़िया ने बताया कि वर्ष 2022-23 के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र हेतु 1.73 टीएमसी, निस्तारी के लिए 6.05 टीएमसी, रायपुर नगरनिगम पेयजल हेतु 3.03 टीएमसी, धमतरी नगरनिगम 0.76 टीएमसी प्रस्तावित है। इसी तरह मुरूमसिल्ली, दुधावा, सोंढूर में न्यूनतम जल की मात्रा 1.40 टीएमसी, वाष्पन एवं क्षरण हेतु 6.39 टीएमसी, खारून नदी में निस्तारी एवं नगर पंचायत पाटन हेतु पेयजल 0.09 टीएमसी, बीरगांव नगरनिगम पेयजल हेतु मांग अनुसार 0.15 टीएमसी और चरौदा, भिलाई पेयजल के लिए 0.28 टीएमसी जल की मात्रा प्रस्तावित है।बताया गया है कि सोंढूर जलाशय में कुल उपलब्ध उपयोगी जल भण्डारण क्षमता 6.34 टीएमसी के विरुद्ध उपयोगी जल 5.12 टीएमसी उपलब्ध है।
इसमें निस्तारी और जलाशय में स्थानीय उपयोग एवं वाष्पण क्षरण के लिए दो टीएमसी जल आरक्षित रखने के बाद रबी फसल दलहन, तिलहन हेतु शेष 3.12 टीएमसी जल उपलब्ध है, जिससे सोंढूर प्रदायक नहर के सैंच्य क्षेत्र (नगरी सिहावा) पांच हजार हेक्टेयर के लिए जल प्रदाय किया जा सकता है। पैरी बायीं तट नहर सिकासेर जलाशय से मगरलोड ब्लॉक के दो हजार हैक्टेयर क्षेत्र में रबी फसल के लिए जल दिया जाना प्रस्तावित है। इसी तरह लघु सिंचाई योजनाओं से 300 हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसल के लिए जल देना प्रस्तावित है।
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