रायपुर ,03 दिसम्बर । नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल द्वारा पत्रकार वार्ता में आरक्षण पर सवाल खड़ा किये जाने को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भाजपा की खीझ बताया है। कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित करवा कर भारतीय जनता पार्टी के आरक्षण विरोधी मंसूबे पर पानी फेर दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने तमाम प्रयास किया कि विधेयक विधानसभा में पारित न हो इसके लिये भाजपा के वरिष्ठ विधायक सदन में बाधा पहुंचा रहे थे, मारपीट और असंसदीय आचरण पर उतर आये थे इनके तमाम अवरोधों के बावजूद विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक के पारित हो जाने पर भाजपा बौखला गयी है। दरअसल भाजपा की बदनीयती के कारण ही कोर्ट में आरक्षित वर्ग का आरक्षण घट कर 58 से 50 फीसदी हो गया था। भाजपा की तत्कालीन सरकार ने हाईकोर्ट में जानबूझकर लापरवाही नहीं बरती होती तो आदिवासी समाज का आरक्षण कम नहीं होता। भाजपा बतायें उसने हाईकोर्ट में ननकी राम कंवर कमेटी और मुख्य सचिव की कमेटी की अनुशंसा को छुपाया क्यों था?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित करवा कर अपनी आरक्षित वर्गों के लिये प्रतिबद्धता को दिखाया है। साथ ही राज्य की विधानसभा में वह संकल्प भी पारित किया गया। पारित आरक्षण विधेयक के प्रावधानों को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाये। भारतीय जनता पार्टी के नेता वास्तव में आरक्षण के पक्षधर है तो भाजपा के 9 सांसद और वरिष्ठ नेतागण प्रधानमंत्री से राज्य के विधानसभा में पारित आरक्षण संशोधन विधेयक के प्रावधानों को 9वीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिये अनुरोध करें।
मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने विधानसभा के विशेष सत्र में छत्तीसगढ़ के हर वर्ग के साथ न्याय करने का काम किया जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी के सामाजिक न्याय के सिद्धांत को कांग्रेस सरकार ने लागू किया। राज्य में अब अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत तथा सामान्य वर्ग के आर्थि कमजोर लोगों के लिये 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने पर कांग्रेस भरोसा करती है वही कांग्रेस सरकार ने किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में विधेयक लाकर आरक्षित वर्गो के प्रति अपनी उत्तरदायित्वों को निर्वहन किया लेकिन भाजपा न्यायालय की आड़ लेकर अपनी आरक्षण विरोधी मंसूबे को प्रस्तुत कर रही है। भाजपा को अपनी मंशा स्पष्ट करनी चाहिए। न्यायालय क्या करेगी ये न्यायालय का काम है।
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