छुरीकला में संगीत मय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन

छुरीकला में संगीत मय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया है। कथा के तीसरे दिन पं. भगवताचार्य नील नारायण मिश्रा ने कहा कि जीवन का परम लक्ष्य सभी जीवों में दया समभाव की शिक्षा हमें प्रदान करनी है। मृत्यु का भय दूर करना है।हमें हमेशा श्रीमद्भागवत महापुराण व रामायण कथा सुनते रहना चाहिए। राजा परीक्षित ने सुखदेव महराज से पूछा कि मरने वाले को क्या करना चाहिए? सुकदेव ने कहा कि मरने वाले के लिए वाह शब्द का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि वाह शब्द ब्रम्हा जी का बीज मंत्र है। पं.मिश्र ने आगे कहा कि राजा या परिवार के मुखिया का कर्तव्य ऐसा होना चाहिए कि वे अपने प्रजा या परिवार की चिंता करे, ताकि कोई दुखी न रहे। सभी को रोटी, कपड़ा, मकान मिले। सतसंग से जागृति आती है।

उन्होंने आगे कहा कि अपने इन्द्रियों पर नियंत्रण करके ध्यान करना चाहिए। भगवान का विराट रूप हम सभी में चार वर्गों में विभाजित है। वही पर ही चौदह भुवन तीन लोको में समाहित हैं, यह जीवन। परमात्मा ही सभी जीवों के लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं। भगवान ने पृथ्वी की संरचना के बारे में भी बताया। भगवान ने जो सृष्टि की रचना की है उसको वही चला रहे हैं। व्यवस्था बनाने के लिए अनेकों लीलाएं भी करते हैं। इस दौरान भक्तों ने कपिल अवतार, भक्त ध्रुव, भरत, बराह अवतार आदि की कथा सुनी। कैवर्त निवास में चल रहे श्रीमद्भागवत महापुराण कथा सुनने बड़ी संख्या में भक्त आए। शाम को महाआरती की गई।

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