गोवा, 28 नवंबर। बहुत ज्यादा अधिकार जमाने वाला और बहुत ज्यादा रोक-टोक करने वाला एक बेटा अपने बुजुर्ग पिता पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश करता है। उसका मानना है कि वह जो भी कर रहा है, उसके पिता के लिए वही सबसे अच्छा है। उधर, उसके पिता अपने अधूरे सपनों को पूरा करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें टॉनिक यानी खुशहाल जिंदगी जीने के सहारे के तौर पर एक दवा की जरूरत होती है। बुजुर्ग पिता कहते हैं, ‘यदि जीवन में टॉनिक हो, तो आप दुनिया फतह कर सकते हैं’।
53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के इंडियन पैनरोमा खंड में प्रदर्शित की गई बंगाली फीचर फिल्म ‘टॉनिक’ में नायक को प्रतीकात्मक रूप से ‘टॉनिक’ नाम दिया गया है, क्योंकि वह बुजुर्ग व्यक्ति को अनकी मर्जी के मुताबिक आनंद से जीवन बिताने के लिए सहायता और विश्वास प्रदान करता है।
गोवा में इफ्फी टेबल टॉक्स सत्र को संबोधित करते हुए, एफटीआईआई के पूर्व शैक्षणिक प्रभारी, एसआरएफटीआई स्नातक और निर्देशक अविजीत सेन ने कहा कि फिल्म का मूलभूत विषय है कि खुशहाल जिंदगी बिताने के लिए हर व्यक्ति को सहारे की जरूरत होती है; और वह इसे एक आकर्षक शीर्षक देना चाहता थे, जो स्पष्ट शब्दों में विषय को प्रकट करता हो, इसलिए उन्होंने ‘टॉनिक’ नाम चुना।
मुख्य नायक टॉनिक की भूमिका निभाने वाले अभिनेता देव भी इफ्फी टेबल टॉक्स इंटरेक्शन में शामिल हुए। देव का मानना है कि यह फिल्म मानवीय रिश्तों पर आधारित है। यह फिल्म बहुत ज्यादा हिफाजत और बहुत ज्यादा चिंता करने वाली आज की पीढ़ी को दर्शाती है, जो अपने माता-पिता की इच्छाओं, सपनों और मनोकामनाओं को नजरंदाज करती है।
अभिनेता देव ने बताया कि पिछले साल महामारी के बाद की अवधि में सिनेमाघरों में यह फिल्म लगातार 111 दिन तक प्रदर्शित की गई- महामारी के बाद के दिनों में यह कमाल बहुत कम फिल्मों ने दिखाया है।
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