Mokshada Ekadashi 2022 : शास्त्रों में बताया गया है कि व्यक्ति को साल में कम से कम एक बार एकादशी व्रत अवश्य रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान विष्णु को समर्पित इस व्रत को रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती है और मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दें कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी व्रत रखा जाता है। यह व्रत 3 दिसम्बर 2022, शनिवार (Mokshada Ekadashi 2022 Date) के दिन रखा जाएगा। शास्त्रों में बताया गया है कि मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखने से सभी व्यक्ति जीवन-मृत्यु के बंधनों से मुक्त हो जाता है और अंत में उसे नाम के अनुरूप मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 03 दिसंबर 2022, शनिवार को सुबह 05:39 मिनट पर होगी और व्रत का पारण 4 दिसंबर 2022 को दोपहर 01 बजकर 20 मिनट से दोपहर 03 बजकर 27 मिनट के बीच किया जाएगा। शास्त्रों में एकादशी व्रत के सन्दर्भ में पौराणिक कथा का भी उल्लेख किया गया है। आइए जानते हैं।
मोक्षदा एकादशी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार वैखानस नामक राजा चंपकनगर शहर पर शासन करता था। वहीं चंपकनगर के वासी भगवान विष्णु में अटूट आस्था रखते थे। एक रात राजा को एक भयावह सपना आया कि उसके पिता को यमलोक में यातना दी जा रही है। इस विचित्र सपने के सम्बन्ध में राजा ने अपने मंत्रियों की सभा बुलाई और उन्हें अपने सपने के विषय में बताया। साथ ही सभी मंत्रियों से अपने पिता की मुक्ति का उपाय बताने के लिए कहा। सुझाव के रूप में मंत्रियों ने राजा को पर्वत मुनि के आश्रम जाकर उनसे सहायता मांगने के लिए कहा। जब राजा पर्वत मुनि के आश्रम पहुंचे और उनसे अपने सपने के विषय में बताया। तब पर्वत मुनि ने राजा को बताया कि ‘राजन! आपके पिता ने एक अपराध किया था, जिस वजह से उन्हें यमलोक में यातनाओं को भोगना पड़ रहा है।
जब राजा ने उनसे मुक्ति का उपाय पूछा तब पर्वत मुनि ने उन्हें सुझाव दिया कि वह मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी पर व्रत का पालन करें और श्रद्धापूर्वक दान-धर्म करें। इस दिन उपवास रखने से पितरों को यमलोक से मुक्ति मिल जाती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। पर्वत पुनि के सुझाव का पालन करते हुए राजा ने मोक्षदा एकादशी व्रत का पालन किया और दान-धर्म किया। इसके परिणाम स्वरूप राजा के सभी पूर्वज जो यमलोक में यातनाएं भोग रहे थे, उन्हें मुक्ति मिल गई और वह सभी जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो गए।
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